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CCI ने गूगल पर लगाया 2200 करोड़ रुपये का जुर्माना! - CCI Imposed a Fine of 2200 Crores on Google


भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने बीते 2 सप्ताह में गूगल पर अलग-अलग मामलों में अपनी प्रभावशाली स्थिति का दुरूपयोग करने के संबंध में 2200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया हैं। 


TABLE OF CONTENT 


CCI ने गूगल पर किन कारणों से यह जुर्माना लगाया हैं, इसे विस्तार से जानने से पहले हम CCI क्या हैं? ये जानते हैं। 

CCI क्या हैं?

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission Of India - CCI)  भारत का एक संवैधानिक निकाय (system) हैं, जिसका गठन 2009  में किया गया था। यह निकाय प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) को लागू करने के लिए उत्तरदायी हैं।  

प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी करारों व उद्यमों द्वारा अपनी प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग का प्रतिषेध (ban) करता हैं। 


गूगल पर जुर्माना क्यों लगाया ?

CCI ने गूगल पर भारतीय बाजार में अपनी स्थिति का गलत दुरुपयोग करने व अनुचित व्यापार गतिविधियों को अपनाने के कारण 2 अलग-अलग मामलों में तकरीबन 2200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया हैं। 

2 मामले :-
  1. एंड्राइड - ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) विवाद 
  2. प्ले स्टोर (Play Store) विवाद 

एंड्राइड - ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) विवाद क्या हैं ?

इस विवाद को जानने से पहले यह समझते हैं की ये -

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) क्या हैं ?

जैसा की हम जानते हैं की किसी भी मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप को चलाने के लिए एक Operating System की  जरुरत होती हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा हम किसी भी डिवाइस में Application या Program को Access कर सकते हैं। Microsoft Windows, Android, Linux, iOS आदि  सभी ऑपरेटिंग सिस्टम्स हैं। 

 Android भी एक ऑपरेटिंग सिस्टम हैं और यह दुनिया के प्रमुख OS में से एक हैं। 2005 में गूगल ने Android का अधिग्रहण किया था और अब यह गूगल द्वारा संचालित हैं। 

वर्तमान में भारत में उपयोग किए जाने वाले लगभग 96% मोबाइल फोन्स में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया गया हैं। 

मोबाइल निर्माता कम्पनियाँ के साथ समझौता 

मोबाइल निर्माता कंपनियों जैसे की Samsung, Vivo, Oneplus, Sony आदि सभी को अपने मोबाइल फोन्स में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने के लिए गूगल के साथ समझौता करना होता हैं। इन समझौतों में 2 समझौते प्रमुख हैं -
  • मोबाइल एप्लीकेशन डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट (MADA)
  • एंड्राइड कम्पैटिबिलिटी कमिटमेंट एग्रीमेंट (ACC) 
इन समझौतों के आधार पर "जो भी कंपनी एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करेगी, उसे गूगल के Applications को Pre-Install करना अनिवार्य होगा"।  

Pre-Install Applications क्या हैं ?

जब हम कोई नया फोन खरीदते हैं तब उसमें कई Apps जैसे की - Google Chrome, Google Drive, Youtube, Google Play Music, Google Search आदि पहले से ही मौजूद होते हैं, इसे ही Pre - Install Apps कहा जाता हैं इसका कारण हैं मोबाइल कंपनी द्वारा गूगल के साथ किया गया समझौता। 


CCI द्वारा जुर्माना:

इस Pre - Install Apps की गतिविधि को ही CCI द्वारा अनुचित व्यापार करार दिया गया हैं क्योंकि इसके द्वारा गूगल अपने ग्राहक आधार को बढ़ाता हैं। 

अब शायद आपके दिमाग में एक सवाल आये की आखिर इस गतिविधि से गूगल अपना ग्राहक आधार कैसे बढ़ा रहा हैं ?

इसे व्यवहार अर्थशास्त्र के एक सिद्धांत जिसे "डिफ़ॉल्ट बायस (Default Bias)" कहा जाता से समझते हैं, इस सिद्धांत के अनुसार "जब किसी ग्राहक को कोई विकल्प डिफॉल्ट रूप से आसानी से मिल जाता हैं तो वह अन्य किसी विकल्प पर ध्यान नहीं देता, फिर चाहे वो विकल्प कितना ही लाभकारी क्यों न हो"।  


इसे इस उदाहरण से समझ सकते हैं की, जब आपने अपना फ़ोन खरीदा था तब उसमे Google Chrome या Google Photos पहले से ही मौजूद थे और शायद आपने उसे अभी तक नहीं हटाया होगा जबकि इनके अलावा भी कई सारे सर्च इंजन और ऑनलाइन स्टोरेज apps उपलब्ध हैं, पर फिर भी हम इनका उपयोग करते हैं क्योंकि ये  आपके पास पहले से ही मौजूद हैं, यहीं डिफ़ॉल्ट बायस हैं। 

गूगल के इस समझौते के कारण फ़ोन निर्माता कंपनी की चयन करने की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती हैं। इस वजह से ही CCI ने गूगल पर इस मामलें में 1337 करोड़ का जुर्माना लगाया हैं।  


Play Store विवाद क्या हैं ?

इस विवाद को लेकर CCI ने अपनी रिपोर्ट में कहा हैं की गूगल अपनी play store नीतियों के माध्यम से अनुचित व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा हैं। कोई भी कंपनी अगर Apps को गूगल play store पर बेचती हैं तो उसका पेमेंट केवल Google Pay के माध्यम से ही होता हैं और google pay, Google का ही एक Application हैं। इससे जाहिर तौर पर कंपनी केवल अपने ही application को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। इससे अन्य कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं। 

इसी के साथ शिकायतकर्ताओं का आरोप हैं की एक और तो गूगल किसी अन्य payment method का उपयोग नहीं करने देता हैं और साथ ही अपने Transaction पर 30% कमीशन वसूलता हैं जबकि अन्य कम्पनियाँ काफी कम कमीशन लेती हैं। 


इस तरह गूगल अपनी प्रभावशाली स्थिति के माध्यम से दुरुपयोग करने का प्रयास कर रहा हैं। इसी को देखते हुई गूगल पर CCI द्वारा 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया हैं। 


गूगल का इस विवाद को लेकर क्या कहना हैं ?

 गूगल ने इन तमाम आरोपों से इंकार कर दिया हैं, उसका कहना हैं की भारत के बाजार में गूगल एक प्रभावशाली स्थिति (Dominant Position) में नहीं हैं और न ही उसने अपनी नीतियों का अनुचित दुरुपयोग किया हैं। गूगल का कहना हैं की उपभोक्ताओं के पास एंड्राइड और iOS के बीच विकल्प भी मौजूद हैं। 

इस बात का जवाब देते गए CCI ने अपनी रिपोर्ट में कहा हैं की Android और iOS में बहुत अंतर हैं, जहा एंड्राइड एक ओपन सोर्स हैं वहीं iOS एक क्लोज्ड सोर्स हैं अर्थात एंड्राइड को सभी डिवाइस में इस्तेमाल किया जा सकता हैं वहीं iOS को केवल Apple के डिवाइस में ही इस्तेमाल किया जा सकता हैं। 


निष्कर्ष

यह बात जाहिर हैं की भारत में गूगल एक प्रभावशाली स्थिति में मौजूद हैं क्योंकि यहाँ के लगभग 96% मोबाइल फ़ोन्स में एंड्राइड का इस्तेमाल किया जाता हैं। गूगल द्वारा अपनी प्रभावशाली स्थिति का फायदा उठाकर बाजार की प्रतिस्पर्द्धा को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही हैं, प्रतिस्पर्द्धा के प्रभावित होने से बाजार का विकास और नवाचार (Innovation) भी प्रभावित होते हैं। 



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