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भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत में, यह पौराणिक कथा अवश्य पढ़े - Shiv Puran Katha

 

Shiv Puran Katha


:- हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व हैं। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं। इस व्रत में पुरे विधि - विधान से  भगवान शिव की पूजा - अर्चना की जाती हैं।



एक गांव में एक निर्धन विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ रहती थी। वे अपना भरण - पोषण के लिए प्रतिदिन भीख मांगते थे तथा उससे अपनी भूख मिटाते थे। वह ब्राह्मणी भगवान शिव की परम भक्त थी। वह कई वर्षों से प्रदोष व्रत का पालन करती आ रही थी। एक बार उस ब्राह्मणी का बेटा त्रोदशी के दिन गंगा स्नान के लिए गया। गंगा स्नान करके जब वह अपने घर की ओर आ रहा था, तब रास्ते में उसका सामना कुछ लुटेरों से हुआ। लुटेरों ने उसका सारा सामान छीन लिया और फरार हो गए। कुछ समय पश्चयात वहां राजा के कुछ सैनिक आ गए और उन्होंने उस ब्राह्मणी के लड़के को लुटेरों का साथी समझ कर बंदी बना लिया और राजा के सामने पेश किया। 


राजा ने उस निर्दोष युवक की दलीले सुने बिना ही उसे कारावास की सजा सुना दी और उस युवक को कारावास में डाल  दिया गया। उसी रात्रि को राजा के सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिये और राजा को आदेश दिया की वह युवक निर्दोष हैं उसे मुक्त कर दो और इतना कहते ही भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए । इतने में राजा की नींद खुली और वह तुरंत कारावास की ओर गया तथा उसने सैनिकों को आदेश दिया की युवक को तुरंत रिहा कर दिया जाये फिर राजा उस युवक को अपने साथ महल ले गया और उसका  सम्मान किया तथा राजा ने उस युवक को दान मांगने के लिए कहा। युवक ने दान के रूप में " एक मुट्ठी धान मांगे " राजा उसकी मांग सुनकर हैरान हो गया। राजा ने युवक से प्रश्न किया "सिर्फ एक मुट्ठी धान से तुम्हारा क्या होगा, तुम कुछ और भी मांग सकते हो, ऐसा अवसर किसी को बार - बार नहीं मिलता" | युवक ने बड़ी विनम्रता से कहा - हे राजन, इस समय यह एक मुट्ठी धान मेरे लिए संसार का सबसे अनमोल धन हैं, मैं इसे अपनी माँ को दूंगा जिससे वह खीर बनाकर भगवान शिव को भोग लगाएगी, फिर हम इस प्रसाद को ग्रहण करके अपनी भूख शांत कर लेंगे। राजा युवक की बातों को सुनकर बहुत खुश हुआ, उसने मंत्री को आदेश दिया की युवक की माँ को दरबार में सम्मान के साथ लाया जाये।  



मंत्री  ब्रह्मणि को लेकर दरबार में पहुँचा और उन्होंने सारी बातें उसकी माँ को बताई और उसके पुत्र की प्रशंसा करते हुए राजा ने उस ब्रह्मणि के पुत्र को अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया। इस प्रकार निर्धन ब्रह्मणी और उसके पुत्र का पूरा जीवन भगवान शिव की कृपा से बदल गया।

                                                           
                                                            ॐ नमः शिवाय
                                          



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