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सागर नितल प्रसरण क्या हैं और कैसे होता हैं? | Sea Floor Spreading In Hindi

सागर नितल प्रसरण | अधःस्तर प्रसरण (Sea Floor Spreading) भूगोल का एक महत्वपूर्ण टॉपिक हैं। आज के इस लेख में हम इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे और जानेंगे की Sagar Nital Prasaran Siddhant Kya Hain और यह कैसे होता हैं?




सागर नितल प्रसरण क्या हैं ? - Sea Floor Spreading In Hindi

सागर नितल प्रसरण संकल्पना के अनुसार अपसारी संवहन धाराओं के कारण उत्पन्न तनाव शक्तियों के अधीन महासागर या सागर के नितल (तली) में भ्रंश (fault) का निर्माण होता हैं और इस भ्रंश के सहारे लावा का उद्गार होता हैं। यह लावा ठंडा होकर सँकरी पहाड़ियों की श्रृंखला का निर्माण करता हैं, जिन्हें "मध्य महासागरीय कटक (Mid Oceanic Ridge)" कहा जाता हैं।   


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[ भू-वैज्ञानिकों द्वारा सर्वप्रथम अटलांटिक महासागर के मध्य में स्थित कटकों का पता लगाया गया था, जिस कारण इनका नाम 'मध्य महासागरीय कटक' रखा गया। ] 


 इस संकल्पना का प्रतिपादन 1960-61 में हैरी हेस द्वारा किया गया था। 


सागर नितल की चट्टानों के पुराचुंबकीय अध्ययन तथा मानचित्रण द्वारा निम्नलिखित तथ्य ज्ञात हुए -

  1. मध्य महासागरीय कटकों के शीर्ष से लावा उद्गार सामान्य क्रिया है, जिससे बड़ी मात्रा में लावा प्राप्त होता हैं। 
  2. मध्य महासागरीय कटकों के मध्य भाग से समान दूरी पर स्थित चट्टानें संरचना, आयु और गुणों में समान होती हैं। 
  3.  मध्य महासागरीय कटक के समीप नवीन चट्टानें पाई जाती है तथा दूरी बढ़ने के साथ चट्टानों की आयु में वृद्धि होती हैं। मध्य महासागरीय कटक के समीप सामान्य चुंबकीय ध्रुवण पाया जाता हैं। 
  4. महासागरीय भू-पृष्ठ की चट्टानें महाद्वीपीय चट्टानों की तुलना में नवीन हैं। 
  5. गहरी गर्तों / खाईयों में भूकंपमूल अधिक गहराई में पाए जाते हैं जबकि मध्य महासागरीय कटक क्षेत्र में कम गहराई में। 

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उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हैरी हेस महोदय ने प्रतिपादित किया की मध्य महासागरीय कटक, मैंटल से उठने वाली संवहन धाराओं के ऊपर स्थित हैं तथा महासागरीय कटकों के शीर्ष पर लगातार ज्वालामुखी उदभेदन से महासागरीय भू-पृष्ठ में विभेदन होता हैं तथा नया लावा दरार को भरकर महासागरीय भू-पृष्ठ को 2 विपरीत दिशाओं में धक्का दे रहा हैं। इस प्रकार महासागरीय नितल का विस्तार हो रहा हैं।   

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हैरी हेस की इस संकल्पना पर विद्वानों ने प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा की यदि महासागरीय नितल का विस्तार हो रहा है तो पृथ्वी का क्षेत्रफल भी बढ़ना चाहिए परन्तु ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जिससे कहा जा सके की पृथ्वी के क्षेत्रफल का विस्तार हो रहा हैं। इस पर हैरी हेस महोदय ने बताया की जितनी मात्रा में नई महासागरीय भू-पृष्ठ का निर्माण होता हैं, उतनी ही मात्रा में पुरानी महासागरीय भू-पृष्ठ महाद्वीपों के नीचे क्षेपित होकर नष्ट हो जाती हैं। इस प्रकार पृथ्वी का क्षेत्रफल नियत बना रहता है।


सागर नितल प्रसरण कैसे होता हैं? - How Does Sea Floor Spreading Occur In Hindi

मैंटल में उत्पन्न होनी वाली अपसारी संवहन धाराएँ, महासागरीय भू-पृष्ठ से टकराकर उस पर तनाव बल आरोपित करती हैं। जिस कारण महासागरीय भू-पृष्ठ में दरार आ जाती है, जब अपसारी संवहन धाराओं द्वारा लगाया गया तनाव बल लगातार आरोपित होता रहता हैं तब ये दरार, भ्रंश (Fault) का रूप ले लेती हैं और इसके सहारे लावा उद्गारित होता हैं। जब बाहर आकर लावा ठंडा होने लगता हैं तब यह एक पहाड़ी जैसी श्रृंखला का निर्माण करता हैं, इन्हें कटक कहा जाता हैं। 

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ऊपर के लावा के ठन्डा होकर चट्टान में परिवर्तित हो जाने से नीचे वाले लावा को ऊपर आने का रास्ता नहीं मिल पाता, तब नीचे लावा का दबाव अधिक हो जाने से यह ऊपर बने कटक को तोड़ता हुआ बाहर निकलता हैं। यह नया लावा कटक को मध्य से दो भागों में बाँट देता हैं और रिज पुश के कारण ये दोनों भाग एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं और यह प्रक्रिया बार-बार चलती रहती है। 



रिज पुश के कारण महासागरीय तली, महाद्वीपों के नीचे गर्तों में धँस जाती हैं और यह दुर्बलतामण्डल में पहुँचकर दुर्बलतामंडल की चट्टानों से टकराकर टूट जाती हैं, इसे क्षेपण कहते हैं। नीचे अधिक तापमान होने के कारण क्षेपित महासागरीय भू-पृष्ठ पिघल जाता हैं और लावा का निर्माण होता है। यह लावा कटकों के सहारे पुनः महासागरीय भू-पृष्ठ पर आ जाता हैं और नई भू-पृष्ठ का निर्माण करता है। यह प्रक्रिया बार-बार होती रहती हैं। 




जैसा की ऊपर 5वें बिंदु में जिक्र किया था की गहरी गर्तों / खाईयों में भूकंपमूल अधिक गहराई में पाए जाते हैं जबकि मध्य महासागरीय कटक क्षेत्र में कम गहराई में। इसका अर्थ हैं की जब महासागरीय भू-पृष्ठ दुर्बलतामंडल से टकराती हैं तो इस भू-पृष्ठ में संचित ऊर्जा "भूकंप ऊर्जा" के रूप में मुक्त होती हैं। इस कारण जब महासागरीय भू-पृष्ठ अधिक गहराई में प्रवेश करती हैं तो वहाँ अधिक गहराई में भूकंप मूल निर्मित होते है। (महासागरीय भू-पृष्ठ मैंटल में अधिकतम 700 km की गहराई तक ही प्रवेश कर सकती हैं।) जबकि मध्य महासागरीय कटक क्षेत्र में भूकंप मूलों की गहराई कम होती हैं इसका अर्थ हैं की जब रिज पुश के कारण महासागरीय भू-पृष्ठ गति करती है तब भूकम्पीय ऊर्जा मुक्त होती हैं और इसका भूकंप मूल कम गहराई में होता हैं।   


रिज पुश और स्लैब पुल क्या हैं ? - What Is Ridge Push and Slab Pull In Hindi  

रिज पुश और स्लैब पुल क्या हैं ? - What Is Ridge Push and Slab Pull In Hindi


जब कटकों के सहारे लावा बाहर निकलता हैं तो यह महासागरीय भू-पृष्ठ पर धक्का लगाता हैं। लावा द्वारा दिया जाने वाला यह धक्का ही "रिज पुश" कहलाता है।  

प्रवाल तथा प्रवाल भित्ति क्या हैं?

जब पुरानी महासागरीय भू-पृष्ठ रिज पुश कारण महाद्वीपों के नीचे गर्तों में प्रवेश करती हैं तब एक समय के उपरांत अपने भार के कारण यह स्वयं एक खिंचाव उत्पन्न करती हैं, इस खिंचाव को "स्लैब पुल" कहा जाता हैं। 


Ridge Push and Slab Pull Animation Video:

 

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