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गोंड जनजाति का निवास क्षेत्र, भाषा, अर्थव्यवस्था, सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन | Gond Janjati in Hindi

 इस लेख में Gond Janjati/ Gondi Tribe/Gond Tribe in Hindi के निवास क्षेत्र, भाषा, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानकारी दी गयी है। 

Gond Janjati in Hindi

गोंड जनजाति का निवास क्षेत्र - Gond Tribe Habitat In Hindi

Gond Janjati भारत की एक प्रमुख जनजाति है जो की छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में निवास करती है। 


छत्तीसगढ़, गोंड जनजाति का मुख्य क्षेत्र है, जहां की जलवायु 'उष्ण कटिबंधीय-बरसाती प्रकार की है। यहाँ का औसत वार्षिक तापक्रम लगभग 15°C के करीब रहता है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग 120-180 cm होती है।   


गोंड जनजाति की भाषा - Gond Tribe Language

  • गोंड लोग 'गोंदी भाषा' बोलते हैं जो द्रविड़ भाषा परिवार की एक अलिखित भाषा है। 
  • वर्तमान में अधिकांश गोंड लोग अपने क्षेत्र की प्रधान भाषा (क्षेत्रीय भाषा) जैसे की हिंदी, मराठी, तेलुगु आदि बोलते हैं। 

गोंड जनजाति की अर्थव्यवस्था - Gond Tribe Economy in Hindi

मैदानी भागों में निवास करने वाले गोंड लोग खेतिहर है तथा अपने भरण-पोषण के लिए अनाज बोते हैं और जंगलों से भोजन एकत्रित करते है। कभी-कभी ये छोटे जानवरों का शिकार भी करते है तथा पक्षियों को पकड़ते हैं। 

बढ़ती हुई जनसंख्या और घटते हुए प्राकृतिक संसाधनों के कारण गोंड लोग अल्प पोषण और कुपोषण दोनों के शिकार हुए हैं। 


गोंड लोगों के आवास - Gond Tribe Residence 

गोंड लोग अपने मकान मिट्टी की ईंटों से बनाते है। ये लोग मकान की अन्य सामग्रियां की पूर्ति स्थानीय क्षेत्र और जंगलों से प्राप्त करते हैं। 

ये लोग अपने मकानों और झोपड़ियों पर कई प्रकार के चित्र बनाते हैं जिनमें वनस्पतियों, मनुष्यों और जानवरों के चित्र प्रमुख हैं। 


गोंड जनजाति का सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन - Gond Tribe Social-Cultural Life in Hindi

  • छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 3 प्रमुख गोंड जनजातियां निवास करती हैं - मुरिया, बिशनहार्न मुरिया और पहाड़ी मुरिया। 
  • ये झूम कृषि (काटो और जलाओ) करते है। 
  • बिशनहार्न मुरिया का नाम नृत्य के समय पहने जाने वाली 'शिरो पोशाक' के आधार पर पड़ा है। 
  • गोंड जनजाति के धर्म का केंद्र पूर्वज पूजा सहित गांव के देवी-देवताओं और गोत्रों की उपासना है। 
  • गोंड लोग मृत पूर्वजों की आत्माओं, सर्प-देवताओं, जनजातीय देवताओं की उपासना करते है। 
  • 19वीं सदी तक गोंड लोगों में मानव बलि की प्रथा प्रचलित थी। 
  • मुरिया लोग अपने युवागृहों के लिए प्रसिद्ध है जो की 'गोटुल' कहलाते हैं। इन युवागृहों में अविवाहित लड़का-लड़की संगठित जीवन व्यतीत करते हैं। यहाँ इन्हें नागरिक कर्तव्यों और मैथुनिक क्रियाकलापों का प्रशिक्षण दिया जाता  हैं। 


इन्हें भी देखें:

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