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महासागरीय जल की लवणता | Salinity of Ocean Water in Hindi

भूगोल के इस लेख में आज हम बात करने वाले हैं 'महासागरीय जल की लवणता' (Salinity of Ocean Water in Hindi) के बारे में। महासागरीय जल की लवणता का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह महासागरीय जल के संघटन, घनत्व, महासागरीय धाराओं, महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र आदि को प्रभावित करती हैं। इस लेख में हम What is Salinity of Ocean Water in Hindi?, लवणता के स्रोत, लवणता को नियंत्रित करने वाले कारकों तथा विभिन्न महासागरों में लवणता के स्तर के बारे में जानेंगे। 

Salinity of Ocean Water in Hindi

Table of Content


महासागरीय जल की लवणता क्या हैं? - Salinity of Ocean Water in Hindi

एक किलोग्राम महासागरीय जल में घुले पदार्थों के भार (ग्राम में) को 'महासागरीय जल की लवणता' (Salinity of Ocean Water) कहते हैं। इसे ग्राम प्रति किलोग्राम (gm/kg) में प्रदर्शित करते हैं। 


महासागरीय जल में पाए जाने वाले लवण 

महासागरीय जल में लगभग 27 प्रकार के लवण खुले रहते हैं इनमें से कुछ प्रमुख लवण निम्नलिखित है -

लवण प्रतिशतता (%)
सोडियम क्लोराइड 77.8
मैग्नीशियम क्लोराइड 10.9
मैग्नीशियम सल्फेट 4.7
कैल्शियम सल्फेट 3.6
पोटेशियम सल्फेट 2.5
कैल्शियम कार्बोनेट 0.3
मैग्निशियम ब्रोमाइड 0.2
 

महासागरीय जल की लवणता के स्त्रोत - Source of Ocean Water Salinity in Hindi

महासागरीय जल की लवणता के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है -
  • पृथ्वी/भू-पृष्ठ
  • नदियां 
  • पवनें 
  • ज्वालामुखी
  • समुद्री तरंगे


पृथ्वी, सागरीय/महासागरीय लवणता का प्रमुख स्रोत है क्योंकि जब पृथ्वी की उत्पत्ति हुई तथा भू-पर्पटी का निर्माण हुआ तो Crust (भू-पर्पटी) में लवण की मात्रा अधिक थी। Crust के विघटन तथा वियोजन के कारण ये लवण अपरदन के कारकों द्वारा सागरों/महासागरों में पहुंचने लगे जिससे सागरों में लवणता बढ़ने लगी। 


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महासागरीय लवणता को नियंत्रित करने वाले कारक - Factors Controlling Sea Salinity in Hindi

महासागरीय जल की लवणता को नियंत्रित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
  • तापमान
  • वाष्पीकरण
  • स्वच्छ जल आपूर्ति
  • वायुदाब तथा पवनें 
  • महासागरीय धाराएं


तापमान

गर्म जल की पदार्थों को घोलने की क्षमता ठंडे जल की तुलना में अधिक होती है अतः गर्म जलीय भाग में लवणता उच्च पाई जाती है। किंतु यदि तापमान ही लवणता का एकमात्र कारक होता तो विषुवत रेखा से ध्रुवों तक लवणता में निरंतर कमी आनी चाहिए किंतु ऐसा नहीं होता है। अतः तापमान के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे कारक हैं जो लवणता को नियंत्रित करते हैं। 


वाष्पीकरण तथा स्वच्छ जल आपूर्ति

सामान्यतः जिस महासागरीय भाग में वाष्पन की दर अधिक होती है वहां लवणों की सांद्रता बढ़ने से जल की लवणता बढ़ जाती है। किंतु ऐसी स्थिति में वाष्पन की दर और स्वच्छ जल की आपूर्ति के अनुपात पर ध्यान देना आवश्यक होता है। 

वाष्पन > स्वच्छ जल की आपूर्ति → लवणता ↑

वाष्पन < स्वच्छ जल की आपूर्ति → लवणता ↓

स्वच्छ जल की आपूर्ति के निम्नलिखित तीन स्रोत होते हैं -

(i) वर्षा जल 

भूमध्य रेखीय या विषुवतीय प्रदेशों में वाष्पन की तुलना में वर्षण का मान बढ़ जाता है अतः वाष्पन होने के बावजूद इस क्षेत्र में लवणता कम पाई जाती है। 

(ii) नदियों द्वारा जल की आपूर्ति 

नदियां बड़ी मात्रा में स्वच्छ जल की आपूर्ति महासागरों में करती है। इससे भी लवणता प्रभावित होती है काला सागर में कई नदियां गिरती है जैसे डेन्यूब, dnieper, dniester, जबकि भूमध्य सागर में गिरने वाली नदियां सीमित है अतः भूमध्य सागर की लवणता काला सागर से अधिक है। 


नदियों के मुहाने पर महासागरीय जल की लवणता कम होती है।

(iii) हिम का पिघलना

जब महासागरीय जल बर्फ में बदलता है तब जल हिम में परिवर्तित हो जाता है तथा लवण पीछे छूट जाते हैं इससे महासागरीय जल की लवणता बढ़ती है किंतु जब बर्फ पिघलती है तब स्वच्छ जल की आपूर्ति बढ़ जाती है और लवणता में कमी आती है। 


वायुदाब तथा पवनें 

पवनें भी लवणता के वितरण में सहायक होती है। पवनें जिस दिशा में प्रवाहित होते हुए गर्म जल एकत्र करती है वहां लवणता में वृद्धि होती है। 


महासागरीय धाराएं

महासागरीय धाराएं भी लवणता वितरण का प्रमुख कारक है। जहां गर्म महासागरीय धाराएं प्रभावी होती है वहां लवणता बढ़ती है तथा ठंडी धाराओं के कारण लवणता में कमी आती है। वहीं वायुदाब -


वायुदाब (↑) - लवणता (↑)

वायुदाब (↓) - लवणता (↓)


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महासागरीय जल की लवणता का महत्व - Importance of Salinity of Ocean Water in Hindi

  • महासागरीय जल की लवणता महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को प्रभावित करती है। 
  • लवणता के कारण ही महासागरीय जल 0℃ पर भी जमता नहीं है तथा उच्च अक्षांश में भी परिवहन की दशाएं बनी रहती है। 
  • लवणता तटीय मौसमी दशाओं को भी प्रभावित करती है। उच्च लवणता होने पर वाष्पन में कमी आती है तथा तटीय क्षेत्रों में आर्द्रता कम हो जाती है। जबकि लवणता कम होने पर इसके विपरीत स्थितियां होती है। 
  • महासागरीय जल की लवणता महासागरीय जल के घनत्व का भी निर्धारण करती है। 
  • किन्हीं दो क्षेत्रों के बीच लवणता में अंतर के कारण जलस्तर में अंतर आ जाता है तथा महासागरीय धाराओं का आविर्भाव होता है। 
  • महासागरीय जल की लवणता नमक उद्योग का आधार है तथा इससे नमक सहित कई उपउत्पाद भी प्राप्त किए जाते हैं। 



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