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तापमान, तापमान विसंगति तथा ऊष्मा क्या हैं? और तापमान को प्रभावित करने वाले कारक | Heat And Temperature In Hindi

इस लेख में Heat And Temperature In Hindi के बारे में जानकारी दी गयी हैं। किसी क्षेत्र विशेष के मौसम और जलवायु के बारे में पता करने के लिए हमें वहां के तापमान के बारे में जानना होता हैं। हम इस लेख में तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में भी जानेंगे। 

Heat And Temperature In Hindi

तापमान क्या है? - What Is Temperature In Hindi

तापमान किसी वस्तु के ठंडेपन और गर्माहट का बोध होता है। वास्तव में तापमान किसी वस्तु के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा को प्रदर्शित करता है। 


जब कोई वस्तु ऊष्मा का अवशोषण करती है तब उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, इससे तापमान बढ़ जाता है। 


ऊष्मा क्या है? - What Is Heat In Hindi 

ऊष्मा, ऊर्जा का रूप है। यह तब प्रकट होती है जब किन्हीं दो वस्तुओं के मध्य तापमान का अंतर होता है और यह उच्च तापमान वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है। 


दूसरे शब्दों में कहें तो "ऊष्मा ऊर्जा का वह रूप है जो किसी वस्तु में अथवा वस्तु से स्थानांतरित होती है। जबकि वस्तु व उसके वातावरण में तापमान का अंतर होता है"।  


ऊष्मा के 2 प्रकार होते हैं - 

संवेदनशील ऊष्मा (Sensible Heat)

  • यह पदार्थों के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा में वृद्धि करती है। 
  • यह तापमापी (Thermometer) पर तापमान के रूप में अंकित होती है। 

गुप्त ऊष्मा (Latent Heat)

  • यह पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन करती है। 
  • यह तापमापी पर रिकॉर्ड नहीं होती है। 

ऊष्मा स्थानांतरण की विधियां - Types Of Heat Transfer In Hindi

ऊष्मा स्थानांतरण की निम्नलिखित विधियां है -
  1. चालन विधि 
  2. संवहन विधि
  3. अभिवहन विधि
  4. विकिरण विधि
  5. स्पर्श विधि 


1. चालन विधि - Conduction Method

जब वस्तुओं अथवा किसी वस्तु के अणुओं के आपसी संपर्क से ऊष्मा का स्थानांतरण होता है तब यह विधि 'चालन विधि' कहलाती है। यह ठोस पदार्थों में ऊष्मा स्थानांतरण की प्रमुख विधि है। 


वायु ऊष्मा की अच्छी सुचालक नहीं है अतः वायुमंडल में ऊष्मा स्थानांतरण में इसका अधिक महत्व नहीं है। पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे निचली वायु की परतें जो पृथ्वी की सतह से सटी होती है केवल वही इस विधि से गर्म या ठंडी होती है। 


2. संवहन विधि - Convection Method

इसके अंतर्गत पदार्थ के अणु गति करते हुए ऊष्मा का स्थानांतरण करते हैं। यह विधि द्रव व गैसों में ऊष्मा स्थानांतरण हेतु अधिक उपयोगी है। 

वायुमंडल में संवहन के अंतर्गत वायु की ऊर्ध्वाधर गति द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण होता है। 

3. अभिवहन विधि - Advection Method

जब वायु की ऊपरमुखी गति द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण होता है तब यह संवहन कहलाता है, किंतु जब वायु क्षैतिज गतिशील होती है तब इसे पवन कहते हैं तथा इस स्थिति में ऊष्मा स्थानांतरण की विधि 'अभिवहन' कहलाती है। 

4. विकिरण विधि - Radiation  Method

ऊष्मा स्थानांतरण की वह विधि जिसमें माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है 'विकिरण विधि'  कहलाती है। इसमें ऊष्मा स्थानांतरण विद्युत चुंबकीय तरंगों द्वारा होता है। 

सूर्य से पृथ्वी को ऊष्मा इसी विधि से मिलती है। यह पृथ्वी के वायुमंडल में ऊष्मा स्थानांतरण की सर्व प्रमुख विधि है


5. स्पर्श विधि - Contact Method

इस विधि में ऊष्मा का स्थानांतरण अणुओं की कंपन गति के परिणामस्वरूप एक अणु से दूसरे अणु में होता हैं। इस विधि से ऊष्मा का स्थानांतरण उन पदार्थों में होता है जो एक दूसरे के सीधे संपर्क में होते हैं। यह आम तौर पर ठोस पदार्थों में होता है।


पृथ्वी पर तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक - Factors Affecting Temperature

पृथ्वी के विभिन्न स्थानों और एक ही स्थान के विभिन्न भागों का तापमान समान नहीं होता है। तापमान वितरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं -

  1. अक्षांश 
  2. सागर तल से ऊंचाई 
  3. सागर तट से दूरी 
  4. जल और स्थल का स्वभाव 
  5. महासागरीय धाराएँ 
  6. वायुमंडल की दशा  
  7. धरातल की प्रकृति 
  8. ढाल का प्रारूप 

1. अक्षांश - Latitude  

तापमान की वितरण पर अक्षांश का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। भूमध्य रेखा पर लगभग वर्षभर सूर्य की किरणें लंबवत होने के कारण यहाँ सूर्यातप की अत्यधिक प्राप्ति होती है। भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर सूर्य की किरणों के तिरछापन में वृद्धि के कारण सूर्यातप की प्राप्ति अपेक्षाकृत कम होती जाती है, अतः भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर तापमान में सामान्यतः कमी आती है। 


2. सागर तल से ऊंचाई 

सागर तल से ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान में कमी आती है। धरातल के संपर्क में होने से वायुमंडल का निचला भाग पृथ्वी से सर्वाधिक ऊष्मा प्राप्त करता है जबकि ऊपर जाने पर यह मात्रा घटती जाती है। वायुमंडल की निचली परत में पार्थिव विकिरण का अवशोषण करने वाले धूलकणों तथा जलवाष्प की अधिकता होती है तथा ऊंचाई के साथ यह घटती जाती है इसलिए ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान में कमी आती है। 


3. सागर तट से दूरी 

सागर तट के समीप स्थलीय भाग में वर्ष भर तापमान की लगभग समान दशाएं पाई जाती है क्योंकि यहां सागरीय तथा स्थलीय भाग से चलने वाली पवनें ऊष्मा का स्थानांतरण करती रहती है, यह प्रभाव "महासागरीय प्रभाव" कहलाता है। 


जो भाग सागर तट से जितना दूर महाद्वीपों की आंतरिक भाग में स्थित होता है वहां महासागरीय प्रभाव उतना ही कम होता जाता है अतः वह क्षेत्र गर्मी में अत्यधिक गर्म व सर्दियों में अत्यधिक ठंडा हो जाता है। 


4. जल और स्थल का स्वभाव 

जलीय भाग की तुलना में स्थलीय भाग शीघ्र गर्म या ठंडे हो जाते हैं अतः जलीय और स्थलीय भाग के उष्मन तथा शीतलन की दर में अंतर होता है। 


5. महासागरीय धाराएं 

महासागरीय धाराएं भी तापमान को प्रभावित करती है जैसे की गर्म धाराएं निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर जिस तटीय भाग में पहुंचती है वहां तापमान बढ़ा देती है। 

वही ठंडी धाराएं उच्च अक्षांश उसे निम्न अक्षांशों की ओर जिस तटीय भाग में पहुंचती है वहां तापमान कम कर देती है। 


6. वायुमंडल की दशाएं 

मेघाच्छादन आदि का प्रभाव स्थान विशेष पर पड़ता हैं। विषुवतीय प्रदेश में मेघाच्छादन के कारण कर्क एवं मकर रेखाओं की तुलना में तापमान कम होता है। 


7. धरातल की प्रकृति 

हिमाच्छादित क्षेत्रों द्वारा सौर विकिरण को अधिक परावर्तित किये जाने से इन क्षेत्रों में कम तापमान होता है जबकि रेतीले क्षेत्रों द्वारा सौर विकिरण के अधिक अवशोषण से दिन में अधिक तापमान होता है। वनस्पति से आच्छादित क्षेत्रों में सतह का तापमान कम होता है। 


8. ढाल का प्रारूप  

सूर्य के सामने वाले धरातल पर सूर्य  की किरणें सीधी पड़ती है जिस कारण यहां का तापमान अधिक होता हैं जबकि इसके विपरीत ढाल का तापमान सूर्य की किरणों के तिरछेपन के कारण कम होता है। 


तापमान विसंगति क्या है?

जब किसी स्थान का तापमान अपने अक्षांश के समान ना हो तब यही स्थिति 'तापमान विसंगति' कहलाती है। 

तापमान विसंगति 2 प्रकार की होती है -

  1. धनात्मक तापमान विसंगति - जब स्थान का तापमान अपने अक्षांश के तापमान से अधिक होता है। 
  2. ऋणात्मक तापमान विसंगति - स्थान का तापमान अपने अक्षांश के तापमान से कम होता है। 

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