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वर्षण, वर्षा, बर्फबारी, ओलापात तथा सहिमवृष्टि क्या है? | Precipitation In Hindi

अभी तक हमने आर्द्रता, वाष्पीकरण, संघनन और बादल निर्माण के बारे में विस्तार से जाना हैं। आज के इस लेख में हम Varshan Kya Hai? वर्षा के प्रकार और वर्षा के वैश्विक वितरण के बारे में जानेंगे।  

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Table Of Content:

वर्षण क्या है? - Precipitation In Hindi

वायुमंडल में उपस्थित आर्द्रता का पृथ्वी के गुरुत्व के सहारे तरल, ठोस या मिश्रित रूप में भू-पृष्ठ पर आपतित होने की प्रक्रिया वर्षण (Precipitation) कहलाती है। 


वर्षण एक वृहद शब्दावली है जिसमें वर्षा, ओलापात, बर्फबारी तथा हिमवृष्टि आदि सभी शामिल है। 


वर्षा - Rainfall

जब वर्षण के अंतर्गत जल की बूंदें भू-पृष्ठ पर गिरती है तब वर्षण का यह प्रकार वर्षा कहलाता है। 


वर्षा के प्रकार - Kinds Of Rainfall In Hindi 

वर्षा निम्नलिखित प्रकार की हो सकती है -

  1. संवहनीय वर्षा - Convectional Rainfall
  2. पर्वतीय वर्षा - Mountain Rainfall
  3. चक्रवाती वर्षा - Cyclonic Rainfall

Kinds Of Rainfall In Hindi
Source: Wikimedia Commons

1. संवहनीय वर्षा - Convectional Rainfall In Hindi

जब सूर्यातप के अधीन तप्त भू-पृष्ठ से उष्ण-आर्द्र वायु का आरोहण होता है, तब संघनन के उपरांत कपासी वर्षा बादलों द्वारा तीव्र वर्षा प्राप्त होती है, वर्षा का यह रूप 'संवहनीय वर्षा' कहलाता है। 

  • ध्रुवों के अतिरिक्त अन्य सभी स्थानों पर संवहनीय वर्षा हो सकती है किंतु ऐसी वर्षा विषुवत रेखीय जलवायु प्रदेश की विशेषता है, जहां प्रतिदिन 2pm- 4pm के मध्य ऐसी वर्षा होती है। 
  • यह वर्षा तीव्र बौछारों के रूप में होती है। 
  • इससे मृदा अपरदन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। 


2. पर्वतीय वर्षा - Mountain Rainfall In Hindi

जब उष्ण व आर्द्र वायु पर्वतीय या पठारी अवरोध के कारण आरोहित होती है तथा आरोहण के क्रम में रुद्धोष्म ताप पतन दर से ठंडी होने लगती है तब यह वायु अंततः संतृप्त होकर संघनित होती है तथा कपासी वर्षा बादलों के सहारे वर्षा होती है, वर्षा का यह स्वरूप 'पर्वतीय वर्षा' कहलाता है। 


पर्वतीय वर्षा के लिए आवश्यक दशाएं -

  • पर्वत, पवन प्रवाह की दिशा के समकोण पर होना चाहिए
  • सागरीय भाग व पर्वतीय भाग के मध्य दूरी अधिक नहीं होनी चाहिए
  • पर्वत पर्याप्त ऊंचाई वाला होना चाहिए
  • वायु में आर्द्रता का उच्च स्तर होना चाहिए


पर्वतीय वर्षा की विशेषताएँ - 

  • पर्वत का जो ढाल पवनों के सामने होता है वह अधिक वर्षा प्राप्त करता है। इस ढाल को "पवनाभिमुख ढाल" कहते है। जब पवनें पर्वत के विपरीत ढाल पर उतरती है तब रुद्धोष्म प्रक्रम में गर्म हो जाती है और इनकी सापेक्षिक आर्द्रता में कमी आती है तथा यहाँ वर्षा या तो होती नहीं है अथवा वर्षा की मात्रा काफी कम हो जाती है, इसे "पवनाविमुख ढाल/वृष्टि छाया क्षेत्र" कहते है। 


  • सामान्यतः पवनाभिमुख ढाल पर ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वर्षा की मात्रा में भी वृद्धि होती है किंतु एक ऊंचाई के बाद वर्षा में कमी आने लगती है इसे "वर्षा प्रतिलोमन" कहा जाता है। 


3. चक्रवाती वर्षा - Cyclonic Rainfall In Hindi

चक्रवाती वर्षा के लिए चक्रवात उत्तरदायी होते हैं। चक्रवातीय वर्षा 2 प्रकार की होती है -

  • शीतोष्ण चक्रवाती वर्षा 
  • उष्ण चक्रवातीय वर्षा  


वर्षा के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक  

  1. विषुवत रेखा से दूरी 
  2. उच्चावच 
  3. समुद्र से दूरी 
  4. महासागरीय धाराएं 
  5. प्राकृतिक वनस्पति 
 

विश्व में वर्षा का वितरण - Rainfall Distribution In World In Hindi

  • विषुवत रेखा क्षेत्र में वायु का आरोहण (वायु का ऊपर उठना) होता है अतः यहां वायु की उच्च सापेक्षिक आर्द्रता होती है तथा सर्वाधिक वर्षा प्राप्त होती है। (लगभग 250 cm औसत वार्षिक वर्षा)


  • उपोष्ण कटिबंध में वायु के अवरोहण (नीचे बैठने) के कारण वायु की सापेक्षिक आर्द्रता में कमी आती है अतः वायु में भी कमी हो जाती है। यहां औसत वार्षिक वर्षा 90 cm होती है जबकि मरुस्थलों में वर्षा का मान 25 cm से भी कम हो जाता है। 


  • उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी में वाताग्र के सहारे वायु का आरोहण होता है तथा यहाँ वाताग्री वर्षा प्राप्त होती है जो प्रतिवर्ष औसतन 125 सेंटीमीटर है। यह दूसरी सर्वाधिक वर्षा पेटी है। 


  • ध्रुवीय क्षेत्र में वायु की अवरोहण के कारण वर्षा के प्रतिकूल दशाएं बन जाती है तथा यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 25 cm से भी कम होती है। 


वायुदाब पेटियां/कटिबंध क्या है? कैसे बनती है और इनके प्रकार


बर्फबारी - Snowfall 

जब वायुमंडल में संघनन हिमांक या इससे नीचे तापमान पर होता है तब जलवाष्प संघनन की क्रिया में सीधे ही बर्फ कणों में परिवर्तित हो जाती है। संघनन का यह रूप "निक्षेपण" (Deposition) कहलाता है। इसमें रुई की तरह मुलायम हिम तूल (Snow flaks) बनते हैं, जो गुरुत्व के अधीन भू-पृष्ठ पर गिरते हैं, इसे ही बर्फबारी कहा जाता हैं। 


ओलापात - Hailstorm 

जब संघनन के उपरांत जल की बूंदें भू-पृष्ठ की ओर गति करती है और यदि मार्ग में वायुमंडल का तापमान हिमांक या हिमांक से नीचे होता है तब इस क्षेत्र से गुजरने वाली जल की बूंदें वर्ष की कठोर गोली में बदल जाती है। जब यह बर्फ भू-पृष्ठ पर गिरती है तब इसे 'ओलापात' कहते हैं। 


सहिमवृष्टि - Sleet 

जब वर्षण के अंतर्गत जल के साथ बर्फ के महीन कण भी आते हैं तब इसे 'सहिमवृष्टि' कहते है। 


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