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भारत के संविधान में साधारण बहुमत, प्रभावी बहुमत और विशेष बहुमत क्या हैं? | Types of Majority in Indian Constitution in Hindi

इस लेख में हम भारत के संविधान में दिए गए बहुमत के प्रकारों (Types of Majority in Indian Constitution in Hindi) में चर्चा करेंगे। हम जानेंगे की साधारण बहुमत (Simple Majority), प्रभावी बहुमत (Effective Majority), विशेष बहुमत (Special Majority) और पूर्ण बहुमत (Absolute Majority) क्या हैं? बहुमत के इन सभी प्रकारों को बहुत ही आसान तरीके से और उदाहरणों के साथ समझाया गया है। 


Types of Majority in Indian Constitution in Hindi

Table of Content


साधारण बहुमत क्या हैं? - What is Simple Majority in Hindi

साधारण बहुमत का अर्थ है सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत। 

उपस्थित और मतदान करने वालों से तात्पर्य है कि वे सदस्य जो उपस्थित है और मतदान भी कर रहे हैं। संसद के नियमानुसार कोई भी सांसद उपस्थित होने पर भी मत देने के लिए बाध्य नहीं है अर्थात वह चाहे तो चर्चा में भाग ले सकता है और मत नहीं देना चाहे तो वह नहीं दे।


साधारण बहुमत में बहुमत का अर्थ है 50% से अधिक (50%+1) अर्थात यदि किसी प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 51% या इससे अधिक मत आते है तो वह प्रस्ताव साधारण बहुमत से पारित हो जायेगा। चलिए इसे एक उदाहरण से समझते है -


Ex.1 मान लीजिए लोकसभा में एक प्रस्ताव को साधारण बहुमत से पारित करवाना है और उस दिन सदन में 240 सांसद उपस्थित है, जिनमें से 200 लोगों ने मत (वोट) दिया। ऐसे में इस प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए इसके पक्ष में कितने मतों की आवश्यकता होगी?

Ans. उपस्थित सांसदों की संख्या - 240 

वोट देने वाले सांसदों की संख्या - 200 


200/2 = 100 

100 + 1 = 101 


अर्थात इस प्रस्ताव को पारित होने के लिए इसके पक्ष में कम से कम 101 मतों की आवश्यकता होगी। 


अब चलिए जानते है की यदि मत देने वालों की संख्या विषम हो तो बहुमत कैसे निकाला जाता है -

Ex.2 मान लीजिए लोकसभा में एक प्रस्ताव को साधारण बहुमत से पारित करवाना है और उस दिन सदन में 200 सांसद उपस्थित है, जिनमें से 179 लोगों ने मत दिया। ऐसे में इस प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए इसके पक्ष में कितने मतों की आवश्यकता होगी?

Ans. उपस्थित सांसदों की संख्या - 200 

वोट देने वाले सांसदों की संख्या - 179


179/2 = 89.5 = 90 


अर्थात इस प्रस्ताव को पारित होने के लिए इसके पक्ष में कम से कम 90 मतों की आवश्यकता होगी। 


Point में उत्तर आने पर -

  • .1, .2, .3, .4 = पिछली/पुरानी संख्या आएगी (Ex. 85.4 आये तो 84 माना जायेगा)
  • .5, .6, .7, .8, .9, = आगे/नई संख्या आयेगी (Ex. 89.5 आये तो 90 माना जायेगा)

  • मत देने वालों की संख्या यदि 'सम संख्या' है तो 1 जोड़ते है। 
  • मत देने वालों की संख्या यदि 'विषम संख्या' है तो 1 नहीं जोड़ते है। 


साधारण बहुमत से सम्बंधित कुछ तथ्य 

  • साधारण बहुमत सर्वाधिक प्रचलित बहुमत का प्रकार है। 
  • साधारण विधेयक, वित्त विधेयक, धन विधेयक आदि इसी बहुमत से पारित होते है।  
  • साधारण बहुमत से पारित होने वाले प्रस्ताव निम्नलिखित है -
  1. अविश्वास प्रस्ताव 
  2. विश्वास प्रस्ताव 
  3. निंदा प्रस्ताव 
  4. कटौती प्रस्ताव 
  5. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव 
  6. कामरोको प्रस्ताव 
  7. समापन प्रस्ताव 


प्रभावी बहुमत क्या है? - Effective Majority in Hindi

प्रभावी सदस्य संख्या का बहुमत, प्रभावी बहुमत कहलाता है। प्रभावी सदस्य संख्या का अर्थ है -


प्रभावी सदस्य संख्या = कुल सदस्य संख्या - रिक्तियाँ 


यहाँ रिक्तियों का अर्थ है मृत्यु, त्यागपत्र, निर्वाचन आदि के कारण सीट का खाली होना। इसमें अनुपस्थित सदस्यों की संख्या को शामिल नहीं किया जाता है। 


प्रभावी बहुमत निकालने का सूत्र - 


प्रभावी बहुमत = प्रभावी सदस्य संख्या / 2 + 1 


चलिए प्रभावी बहुमत को एक उदाहरण के द्वारा अच्छे से समझते है -

Ex. लोकसभा में किसी प्रस्ताव को प्रभावी बहुमत से पारित करवाने के लिए कितने मतों की आवश्यकता होगी, जबकि 7 सीटें खाली हैं। 

Ans. लोकसभा में कुल सीटें = 543 

कुल रिक्तियाँ = 7 


543-7 = 536

536/2 = 268+1 = 269


अर्थात प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए कम से कम 269 सदस्य उपस्थित हो और पक्ष में हो। 


प्रभावी बहुमत का उपयोग 

प्रभावी बहुमत का उपयोग 8 स्थानों पर होता हैं। इसका उपयोग निम्नलिखित की पदमुक्ति में किया जाता है -

  1. राज्यसभा के सभापति और उपसभापति 
  2. लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
  3. विधानपरिषद के सभापति और उपसभापति 
  4. विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष 

विशेष बहुमत क्या है? - Special Majority in Hindi

संसद के किसी भी सदन में कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई (2/3) को विशेष बहुमत कहा जाता है। यह 3 प्रकार का होता है -

(i) पहले प्रकार का विशेष बहुमत 

उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई 2/3 बहुमत। 

Ex. माना लोकसभा में उपस्थित सदस्य हैं = 200 
मतदान करने वाले सदस्य = 180 

180 का 2/3 = 120 

अर्थात पहले प्रकार के विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करवाने के लिए प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 120 मत चाहिए। 

  • इस विशेष बहुमत का उपयोग 2 स्थानों (अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 312) पर होता है। 

(ii) दूसरे प्रकार का विशेष बहुमत 

उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत जो कुल सदस्य संख्या के आधे से कम न हो। 


चलिए अब बहुमत के इस प्रकार को 2 उदाहरणों के माध्यम से समझने का प्रयास करते है -

Ex.1 लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या = 543 

कुल सदस्य संख्या का आधा अर्थात 543 का आधा = 271.5 = 272 (.5 आया है इसलिए इससे आगे वाली संख्या आयेगी)


» अब मान लीजिए की लोकसभा में उपस्थित सदस्यों की संख्या = 310 

मतदान करने वालों की संख्या = 300 


प्रस्ताव के पक्ष में मत = 200

प्रस्ताव के विपक्ष में मत = 100 


तो 300 का 2/3 = 300 x 2/3 = 200 


इस स्थिति में पहली शर्त (2/3 बहुमत) तो पूरी हो रही है,  किन्तु ये कुल सदस्य संख्या (543) के आधे (272) से कम है। इस कारण यह प्रस्ताव पारित नहीं होगा। 


Ex.2 अब मान लीजिये लोकसभा में उपस्थित सदस्य = 470 

मतदान करने वाले सदस्य = 450 


450 x 2/3 = 300


प्रस्ताव के पक्ष में मत = 350

प्रस्ताव के विपक्ष में मत = 100 


इसमें पहली शर्त (2/3 बहुमत) पूरी हो रही है क्योंकि 450 का दो-तिहाई 300 है और वहीं प्रस्ताव के पक्ष में 350 सदस्यों ने मत दिया है तथा दूसरी शर्त कुल सदस्य संख्या (543) के आधे (272) भी यहाँ पूरी हो रही है। इस कारण यह प्रस्ताव पारित हो जायेगा। 


दूसरे प्रकार के विशेष का प्रयोग 

  • सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने में 
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से हटाने में 
  • संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने में 


(iii) तीसरे प्रकार का विशेष बहुमत 

सदन की कुल सदस्य संख्या का 2/3 बहुमत। 


जैसा की हम जानते है की लोकसभा में कुल सदस्य संख्या 543 है और 543 का दो-तिहाई 362 होता है। इस तरह बहुमत के इस प्रकार से प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए कम से कम 362 सदस्यों का उपस्थित और प्रस्ताव के पक्ष में होना आवश्यक है। 


तीसरे प्रकार के विशेष बहुमत का प्रयोग 

राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव 



पूर्ण बहुमत क्या है?- Absolute Majority in Hindi

किसी सदन की कुल संख्या के 50% से अधिक के बहुमत को पूर्ण बहुमत कहा जाता है। पूर्ण बहुमत भारत के संविधान में नहीं है। इससे कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं होता है। 


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