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बायोम: अर्थ, प्रकार, विशेषताएँ - पूरी जानकारी | Biome Kya Hai

आज हम बात करने वाले है पर्यावरण और पारिस्थितिकी के एक प्रमुख टॉपिक 'बायोम' (Biome) के बारे में। इस लेख में बायोम से सम्बंधित सभी प्रमुख बातों जैसे की Biome Kya Hai?, Biome के प्रकार तथा बायोम से सम्बंधित प्रमुख तथ्यों को विस्तार से समझाया गया है। 

Biome Kya Hai
Biome Kya Hai


Biome Kya Hai? - What Is Biome In Hindi

किसी क्षेत्र विशेष में विशिष्ट जलवायु के अंतर्गत पाए जाने वाले विशिष्ट जैव समूह को बायोम/जीवोम कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो विशिष्ट पारिस्थितिक क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वनस्पतियों और प्राणियों का वह जटिल समूह जो अपनी विशिष्टता के आधार पर अन्य समूहों से स्पष्ट भिन्नता प्रदर्शित करता है 'बायोम' (Biome) कहलाता है। 



किनारा प्रभाव/कोर प्रभाव क्या है? - What Is Edge Effect

किन्हीं दो बायोमों के मध्य स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं पाई जाती है बल्कि दोनों बायोमों के मध्य एक संक्रमण क्षेत्र (Ecotone) पाया जाता है जहां दोनों बायोमों की मिली जुली प्रजातियां पाई जाती है तथा यहां प्रजातीय विविधता दोनों बायोमों की तुलना में अधिक होती है, इसे ही 'किनारा प्रभाव/कोर प्रभाव' (Edge Effect) कहते है। 


बायोम के प्रकार - Types Of Biome In Hindi

बायोम निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है -

1. स्थलीय बायोम
  • वन बायोम
  • घास भूमि बायोम
  • मरुस्थलीय बायोम
  • टुंड्रा बायोम

2. जलीय बायोम

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A. वन बायोम - Forest Biome In Hindi

आवासीय सीमा से बाहर अकृषित और लगभग आबादीविहीन भूमि जहां सघन वनस्पतियों के अंतर्गत चरम प्रजाति के रूप में वृक्ष पाए जाते हैं 'वन' कहलाते है। वन क्षेत्र में विविध प्रकार के वृक्ष, झाड़ियां, लताएं, घास और विभिन्न प्रजातियों के जंतु पाए जाते हैं। 

वन बायोम निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है -

Forest Biome In Hindi

a. विषुवत रेखीय सदाबहार वर्षावन बायोम 

  • इसका विस्तार 10° उत्तर-10° दक्षिण के मध्य है। 

  • विषुवत रेखा पर सूर्य की किरणें लगभग वर्षभर लंबवत होती है। यहाँ का औसत वार्षिक तापमान 20℃ होता है।

  • यहाँ वार्षिक तापांतर बहुत कम होता है जबकि दैनिक तापांतर अधिक पाया जाता है। दिन में तापमान बढ़कर 30℃ या इससे अधिक हो सकता है, जबकि रात्रि में तापमान 20℃ तक पहुंच जाता है। यद्यपि ग्रीष्मकाल और शीतकाल जैसी पृथक-पृथक ऋतुएँ यहाँ नहीं होती है किंतु रात्रि में तापमान के गिर जाने के कारण यहां की रात्रियों को ही इस जलवायु का शीतकाल माना जाता है। 

  • यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है। वर्षा प्रायः प्रतिदिन दोपहर 2:00 pm से 4:00 pm के बीच होती है। 

  • यहाँ लैटेराइट मृदा पाई जाती है जो कि एक अनुपजाऊ मृदा है। 

  • उच्च तापमान और अधिक वर्षा के कारण यहां उच्च स्तर की जैव-विविधता पाई जाती है। यहां की वनस्पतियों में रबड़, ताड़, गाटापर्चा, आयरनवुड एवं सिनकोना तथा कई प्रकार की महालताऐं आदि प्रमुख है। 

  • उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षावन विश्व के 13% भाग पर विस्तृत है। यह सर्वाधिक प्राथमिक उत्पादकता वाले क्षेत्र है तथा इन्हें 'पृथ्वी का फेफड़ा' भी कहा जाता है। 

  • यहां जंतुओं में वृक्षों पर रहने वाले जीव अधिक पाए जाते हैं। यहां पाए जाने वाले जीव-जंतुओं में से कुछ प्रमुख जीव है चिंपैंजी, जंगली बिल्ली, हाथी, दरियाई घोड़ा, बंदर, जंगली सूअर आदि। 


b. भूमध्यसागरीय वन बायोम 

  • यह बायोम दोनों गोलार्द्धों में महाद्वीपों के पश्चिमी सीमांतों पर 30° - 45°अक्षांशों के मध्य प्राप्त होता है।
 
  • यह गर्म और शुष्क ग्रीष्म ऋतु होती है, जबकि शीतकाल में अनुतटीय पछुवा पवनों से वर्षा प्राप्त होती है। यहां औसत वार्षिक वर्षा 80 सेंटीमीटर होती है। 

  • यहाँ टेरारोसा मृदा पाई जाती है। 

  • यहां वनों में चौड़ी पत्ती के वृक्ष पाए जाते हैं जिसमें सदाबहार ओक महत्वपूर्ण है। यहां वनस्पतियों को गर्म शुष्क ग्रीष्मकाल का सामना करना पड़ता है अतः उसी अनुरूप वनस्पतियों में अनुकूलन की क्रिया हुई है। यहां मोमपर्णि  वनस्पतियां मिलती है। यहां पत्तियां मोटी, पर्णरंध्र धँसे हुए और छोटी होती है। 

  • इस प्रकार की वनस्पतियों को Sclerophyll कहा जाता है। यहाँ नींबू की कई प्रजातियां पाई जाती है तथा जैतून, अंगूर प्रमुख रूप से उगाये जाते है, अतः यह क्षेत्र खट्टे फलों के उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र हो जाता है। यहां पाई जाने वाली झाड़ियों को निम्नलिखित नाम दिए जाते हैं -
झाड़ी देश
चैपरल California
मैटोरल Chile
माक्विस (maquis) France
माचिया Italy
फिनबस South Africa
माली, मुल्गा Australia
  
  • भूमध्यसागरीय बायोम में विभिन्न प्रकार के सरीसृप, स्तनधारी आदि पाए जाते हैं जिनमें हिरण, खरगोश, खच्चर तथा विभिन्न प्रकार की छिपकलीयां, मारसूपियल वर्ग के प्राणी जैसे कंगारू आदि प्राप्त होते हैं। 


c. शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम

  • यह बायोम उत्तरी अमेरिका, यूरोप, पूर्वी एशिया, चिली और ऑस्ट्रेलिया के कुछ भागों में पाया जाता है। 

  • इन वनों में लंबे वृक्ष पाए जाते हैं जिनकी पत्तियां चौड़ी होती है तथा कठोर सर्दी से निपटने के लिए ये वृक्ष सर्दियों में अपनी पत्तियों को गिरा देते हैं तथा बसंत ऋतु में इनमें नई पत्तियां आ जाती है। 

  • इन वनों में ग्रीष्म काल का तापमान 10℃ से 20℃ तक होता है। जबकि शीतकाल में तापमान गिरकर 12℃ तक पहुंच जाता है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर तक होती है। 

  • यहाँ पॉडजोल मृदा पाई जाती है। 

  • इन वनों में ओक, चीड़, देवदार, मैपल तथा विभिन्न शंकुधारी वृक्ष पाए जाते है। 

  • जंतुओं के अंतर्गत मेढ़क, सांप, चूहों की विभिन्न प्रजातियां तथा विभिन्न प्रकार की गिलहरी, पक्षी, हिरण, लोमड़ी आदि यहाँ प्राप्त होते हैं। 

  • यह बायोम लकड़ियों की प्राप्ति के लिए वनों को काटने के कारण बड़ी मात्रा में अवक्रमित हुआ है। 

d. टैगा वन बायोम 

  • यह बायोम मुख्यतः 45° - 60° अक्षांशों की मध्य पाया जाता है। इन वनों को उत्तरी वन तथा शंकुधारी वन भी कहा जाता है। ये विश्व की सबसे बड़े स्थलीय बायोम है जिनका एक बड़ा भाग रूस और कनाडा में पड़ता है। 

  • यहां सबसे गर्म महीने का तापमान 10℃ या इससे अधिक चला जाता है किंतु इसकी अवधि हमेशा 4 महीने से कम की होती है। सर्दियों में तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है। 

  • यहाँ पॉडजोल मृदा पाई जाती है। 

  • यहां पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पतियां पाईन, स्प्रूस, लार्च और फर होते है। कुछ क्षेत्रों में देवदार भी प्राप्त होता है। यहां बड़े पैमाने पर बर्फबारी होती है अतः यहां के पौधों की पत्तियां सुई की तरह तथा शंक्वाकार रूप ग्रहण कर लेती हैं जिससे बर्फ इनपर रूक नहीं पाती है। 

  • टैगा बायोम में कठोर जलवायु के कारण सीमित जंतु प्रजातियां पाई जाती है। यहां प्रमुख जंतुओं में मूज, कैरीबू, मिंक, मार्टन, भूरे बालू तथा विभिन्न प्रकार के उभयचर और कीट पाए जाते हैं। 

  • यहां वनों में मुलायम लकड़ियों के वृक्ष पाए जाते हैं जो लुगदी व कागज उद्योग के लिए बड़ी मात्रा में प्रयोग किए जाते हैं जो इन वनों के लिए बड़ा खतरा है। 

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B. घास भूमि बायोम - Grassland Biome In Hindi

ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा की मात्रा कम होती है तथा वर्षा वनों के विकास को समर्थन नहीं कर पाती है वहां घास भूमियों का विकास होता है। जलवायु के अनुरूप घास भूमियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -

  • उष्णकटिबंधीय घास भूमि बायोम 
  • शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमि बायोम 


(i) उष्णकटिबंधीय घास भूमि बायोम/सवाना बायोम 

  • यह बायोम दोनों गोलार्द्धों में 10°-30° अक्षांशों के मध्य महाद्वीपों के आंतरिक भाग में पाया जाता है। 

  • यहाँ गर्मियों में तापमान लगभग 35℃ - 40℃  सर्दियों में 10℃ - 15℃ तक होता है जबकि औसत वार्षिक वर्षा 70cm - 80cm तक होती हैं। 

  • यहाँ अर्धशुष्क परिस्थितियों के अंतर्गत 'केशिका क्रिया' (Calcification) में कैल्शिमॉर्फिक मृदा पाई जाती है, जिसमें रेड चेस्टनट और ग्रूमोसॉल प्रमुख है। 

  • यहां ऊँची और मोटी घास के साथ-साथ कहीं-कहीं पर्णपाती वृक्ष भी पाए जाते है किन्तु पूर्वी अफ्रीका के सूडान में यह भू-दृश्य सवाना कहलाता है अतः यह 'सवाना' के नाम से अधिक लोकप्रिय है। 

  • इन घास भूमियों की अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे की -  

घास भूमि का नाम देश
कैम्पोज ब्राजील
सवाना भारत तथा ऑस्ट्रेलिया
लानोस वेनेजुएला
रोड्स USA
 
  • यहाँ के प्रमुख जंतुओं में हाथी, गाय, भेड़, बकरी, सूअर आदि शामिल हैं। अफ़्रीकी सवाना में जिराफ, ज़ेब्रा, शेर आदि पाए जाते है। 

(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमि बायोम/स्टेपी घास बायोम 

  • यह बायोम दोनों गोलार्धों में 30° - 45° अक्षांशों के मध्य महाद्वीपों के आंतरिक भाग में मिलते हैं। 

  • यहां ग्रीष्म ऋतु में तापमान 10℃ - 15℃ तथा शीत ऋतु में तापमान हिमांक से नीचे भी जा सकता है। 

  • यहां औसत वार्षिक वर्षा 50cm - 70cm होती हैं। 

  • यहां वृक्षरहित घास मैदान पाए जाते है। स्टेपी के उत्तर में प्रेयरी घास मैदान पाया जाता है जिसकी घास स्टेपी घास की तुलना में कुछ लम्बी होती है। 

  • यहाँ चरनोजम मृदा पाई जाती हैं। 

  • यहाँ के अधिकांश जंतु झुंड में रहते है क्योंकि इनमें अपने शत्रुओं से बचने के लिए कोई रक्षक आवरण नहीं होता है। ये तेज दौड़ने वाले या बिलकारी प्रवृति के होते है। यहाँ के पक्षी ऋतुओं के अनुसार प्रवसन भी करते है। 

  • इन घास भूमियों में बायसन, एंटीलोप, लार्क, बाज, उल्लू तथा विभिन्न प्रकार के सांप, मेंढक, छिपकलियां आदि पाए जाते है। 

C. मरुस्थलीय बायोम - Desert Biome In Hindi 

  • मरुस्थलीय बायोमों का विकास उन क्षेत्रों में हुआ है जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 25 cm से कम होती है। इन्हें उष्ण तथा शीत मरुस्थलों में विभाजित किया जा सकता हैं। 


» विश्व का सबसे बड़ा गर्म मरुस्थल - सहारा मरुस्थल 

» विश्व का सबसे बड़ा ठंडा मरुस्थल - अंटार्कटिक 

  • गर्म मरुस्थल उष्ण और उपोषण कटिबंध से संबंधित है जो मुख्यतः दोनों गोलार्ध में महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में  10°-30° अक्षांश के मध्य पाए जाते हैं। 

गर्म मरुस्थल बायोम की निम्नलिखित विशेषताएं होती है -
  • जल की कमी
  • तापमान में उच्चावचन
  • अल्प आर्द्रता 
  • उच्च वाष्पन दर 
  • वनस्पतियों की कमी 
  • रेतीली आंधियां

  • यहां ग्रीष्म काल में तापमान 30℃ से भी अधिक हो जाता है तथा शीतकाल में तापमान हिमांक तक पहुंच सकता है।

  • यहां मरुस्थलीय मृदा पाई जाती है। 

  • मरुस्थलीय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियां सूखा प्रतिरोधी होती है। ये उच्च तापमान और जल न्यूनता के प्रति अनुकूलित होती है। सूखा प्रतिरोधी पौधों में जल संरक्षण की उचित यांत्रिकी होती है। इनकी जड़े अधिक गहराई तक पहुंचती है, पत्तियां छोटी, कांटेदार तथा पत्तियां व तने दोनों ही मांसल व गूदेदार हो सकते है। पौधों में ऊपरी सतह पर जलरोधी 'क्यूटिकल' पाई जाती है जो वाष्पोत्सर्जन को रोकती। है इसके अंतर्गत कैक्टस, यूफोर्बिया शामिल है। 

  • मरुस्थल में कटीली झाड़ियां भी होती है जो ग्रीष्म ऋतु में अपनी पत्तियां गिरा देती है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली अन्य प्रमुख वनस्पतियां खेजड़ी, बबूल, कीकर, अकासिया, खजूर आदि है। 

  • मरुस्थल में विभिन्न प्रकार की जीव-जंतु पाए जाते हैं। स्तनधारियों में चमगादड़, शेही, नेवला, कंगारू तथा मरुस्थलीय चूहे शामिल है। पक्षियों में तीतर, चील, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, गिद्ध आदि पाए जाते हैं। सरीसृप में गिरगिट, सांप, गोह आदि पाए जाते हैं। 


D. टुंड्रा बायोम - Tundra Biome In Hindi

  • यह बायोम आर्टिक महासागर व हिमाच्छादित तथा इसके दक्षिण के शंकुधारी वनों के बीच का होता है। 10°C की समताप रेखा टैगा को टुंड्रा से पृथक करती है। 

  • 'टुंड्रा' फिनिश भाषा का शब्द है जिसका अर्थ 'बंजर भूमि' होता है। यहां सबसे गर्म महीने का तापमान भी 10°C से कम होता है। 

  • यहां औसत वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर से कम होती है। 

  • अत्यधिक निम्न तापमान के कारण मृदा भी यहां जमी हुई अवस्था में प्राप्त हुई है। ग्रीष्म काल में सतह की 10-20 सेंटीमीटर की मोटाई वाली मृदा पिघलकर दलदलों का निर्माण करती है जबकि मृदा का शेष भाग स्थाई रूप से हिमीकृत रहता है जो 'Permafrost' कहलाता है। 

  • यहां 'पीट मृदा' पाई जाती है जब 'ग्लेजेशन' की क्रिया में निर्मित होती है। 

  • यहां वृक्षों का पूरी तरह से अभाव होता है। यहाँ की प्रमुख वनस्पतियां लाइकेन, सेज, मॉस तथा कुछ पुष्पी शाख प्रजातियां है। 

  • जंतुओं के अंतर्गत ध्रुवीय लोमड़ी, ध्रुवीय भालू, रेन्डियर, कैरीबू आदि प्राप्त होते हैं। 


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