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एल्बिडो, पार्थिव विकिरण, पृथ्वी का ऊष्मा बजट तथा अक्षांशीय ऊष्मा बजट | Prithvi Ka Albedo Kya Hai | Heat Budget In Hindi

इस लेख में Prithvi Ka Albedo Kya Hai , पार्थिव विकिरण (Terrestrial Radiation In Hindi), Heat Budget In Hindi तथा अक्षांशीय ऊष्मा बजट के बारे में जानकारी दी गयी हैं। 

Prithvi Ka Albedo Kya Hai | Heat Budget In Hindi


पृथ्वी के ऊष्मा बजट को समझने से पहले आपको Albedo तथा पार्थिव विकिरण के बारे में जानना होगा ताकि आप Concept को अच्छे से समझ पाए। तो चलिए जानते है, Albedo Kya Hai?

विकिरण क्या है? - Radiation In Hindi

जब किसी गर्म स्रोत से ऊष्मा (ऊर्जा)  विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में संचरित होती है, तो उसे 'विकिरण' कहा जाता है। यथा  सूर्य से आने वाला सौर विकिरण 

Prithvi Ka Albedo Kya Hai? What Is Albedo In Hindi

"किसी वस्तु का एल्बिडो उस पर आपतित विकिरण कि वह मात्रा होती है जिसे वह बिना अवशोषित किए ही सीधे परावर्तित कर देता है"। 


अर्थात किसी वस्तु का एल्बिडो उसके द्वारा परावर्तित विकिरण (सूर्य का प्रकाश) और उस पर आपतित विकिरण का अनुपात होता है तथा इसे प्रतिशत या दशमलव में व्यक्त करते है। हर वस्तु का एल्बिडो होता है।  


वस्तु का एल्बिडो = परावर्तित विकिरण की मात्रा / आपतित विकिरण की मात्रा × 100 


एल्बिडो को "परावर्तन गुणांक" (Reflection Coefficient) या "परावर्तिता" (Reflectivity) भी कहते हैं।


एल्बिडो निम्नलिखित 2 कारकों पर निर्भर करता हैं -

  1. विकिरण का आपतन कोण 
  2. सतह की प्रकृति 

1. विकिरण का आपतन कोण 

  • आपतन कोण का मान जितना कम होगा परावर्तन/एल्बिडो उतना ज्यादा होगा।
  • आपतन कोण का मान जितना ज्यादा होगा परावर्तन उतना कम होगा। 
  • जब विकिरण 0°-5° के आपतन कोण पर आपतित होती है, तब एल्बिडो 100% होता है। 
  • 90° के कोण पर एल्बिडो न्यूनतम होता है। 

2. सतह की प्रकृति 

  • चिकनी और सफेद सतह का एल्बिडो अधिक होता है क्योंकि यह सतह अधिक सौर विकिरण को परावर्तित करती है। 
  • खुरदरी और काली सतह का एल्बिडो कम होता है क्योंकि वह कम सौर विकिरण को परावर्तित करती है।
उदाहरण :-  
  • ताज़ी बर्फ (अधिक सफ़ेद) - एल्बिडो ज्यादा 
  • पुरानी बर्फ (कम सफ़ेद) - एल्बिडो कम 


पार्थिव विकिरण क्या है? - Terrestrial Radiation In Hindi

 जब सौर विकिरण पृथ्वी की सतह पर पड़ता है तब पृथ्वी इसके एक भाग को अवशोषित कर लेती है तथा अवशोषित विकिरण का निश्चित तापमान पर पुनः निष्कासन कर देती है, इस पुनः निष्कासित विकिरण को ही 'पार्थिव विकिरण' कहा जाता है। 


सूर्य से आने वाले सौर विकिरण/सूर्यातप की तरंगदैर्ध्य "लघुतरंगदैर्ध्य" होती है  जबकि पार्थिव विकिरण की तरंगदैर्ध्य "दीर्घतरंगदैर्ध्य" होती है। 


पृथ्वी का ऊष्मा बजट - Heat Budget Of Earth In Hindi

पृथ्वी के ऊष्मा बजट से तात्पर्य पृथ्वी को प्राप्त सौर विकिरण तथा पृथ्वी द्वारा इसे विभिन्न प्रक्रमों में वापिस लौटाने की प्रक्रिया के लेखांकन से हैं। 



दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी का औसत तापमान (15℃) एकसमान रहता है। यह सूर्यातप और पार्थिव विकिरण में संतुलन के कारण ही संभव हो पाता है, इस संतुलन को ही पृथ्वी का "ऊष्मा बजट" कहते है। 

Heat Budget In Hindi


सूर्य से आने वाले प्रकाश का एक बहुत ही छोटा भाग पृथ्वी को प्राप्त होता है। यदि पृथ्वी को प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को 100 इकाई मान लिया जाए तो इसमें से -
  • 27 इकाई बादलों द्वारा परावर्तित (एल्बिडो) कर दी जाती है। 
  • 2 इकाई हिमटोपियों द्वारा परावर्तित 
  • 6 इकाई वायुमंडल के धूल कणों द्वारा परावर्तित 
(अर्थात 100 इकाई में से 35 इकाई तो पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने से पहले ही परावर्तित/एल्बिडो होकर अंतरिक्ष में लौट जाती हैं।)
  • 14 इकाई वायुमंडल द्वारा अवशोषित (ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, जलवाष्प गैसों आदि द्वारा)
  • 51 इकाई पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित की जाती हैं। 

इस प्रकार पृथ्वी को प्राप्त 100 इकाई का केवल 14 इकाई वायुमंडल द्वारा तथा 51 इकाई पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित किया जाता हैं। यदि पृथ्वी को अपना औसत तापमान संतुलित रखना हैं तो उसे इस अवशोषित विकिरण को लौटना होता हैं अन्यथा पृथ्वी के औसत तापमान में अत्यधिक वृद्धि हो जाएगी। 

धरातल द्वारा अवशोषित 51 इकाई को पृथ्वी पुनः लौटा देती हैं, जिसमें से -
  • 34 इकाई वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, जिसे वह धीरे-धीरे अंतरिक्ष में छोड़ता रहता है और
  • 17 इकाई पार्थिव विकिरण के रूप में सीधे अंतरिक्ष में चली जाती हैं।  
  • वहीं वायुमंडल भी अपने द्वारा अवशोषित 14 इकाई को अंतरिक्ष में छोड़ देता हैं। 

पृथ्वी को प्राप्त विकिरण (100 इकाई) मात्रा
बादलों को परावर्तित 27 इकाई
हिमटोपियों द्वारा परावर्तित 2 इकाई
वायुमंडल के धूल कणों द्वारा परावर्तित 6 इकाई
वायुमंडल द्वारा अवशोषित 14 इकाई
पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित 51 इकाई
कुल 100 इकाई
लौटाई गई विकिरण मात्रा
एल्बिडो के रूप में लौटी विकिरण 35 इकाई
पार्थिव विकिरण के रूप में 17 इकाई
वायुमंडल द्वारा अवशोषित (धरातल द्वारा लौटाई गयी) 34 इकाई
वायुमंडल द्वारा अवशोषित ऊष्मा को लौटाना 14 इकाई
कुल 100 इकाई


अक्षांशीय ऊष्मा बजट - Latitudinal Heat Budget in Hindi 

अक्षांशीय ऊष्मा बजट से तात्पर्य विभिन्न अक्षांशों पर प्राप्त सौर विकिरण और लौटाए विकिरण के लेखे-जोखे से हैं। 
Latitudinal Heat Budget in Hindi

  • वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर 40°N -40°S अक्षांशों के मध्य प्राप्त सूर्यातप की मात्रा लौटाए गए विकिरण की तुलना में अधिक होती है। अतः यह "ऊष्मा आधिक्य" का क्षेत्र होता है। 
  • 40° अक्षांशों से ध्रुवों तक प्राप्त सूर्यातप की तुलना में लौटाया गया विकिरण अधिक होता है, अतः यह "ऊष्मा न्यूनता" का क्षेत्र होता है। 
  • यदि यही स्थिति बनी रहे तो 40° अक्षांशों से लेकर ध्रुवों तक के क्षेत्र ठन्डे हो जायेंगे और 40°N -40°S के क्षेत्र गर्म होते जायेंगे किन्तु ऐसा नहीं होता हैं क्योंकि पवनें तथा महासागरीय धारायें ऊष्मा का निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर लगातार स्थानांतरण करती है तथा पृथ्वी पर ऊष्मा का संतुलन रहता है। 


वायुमंडल के Concept को अच्छे से समझने के लिए इन Topics को जरूर पढ़े:

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