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भारत के संविधान की प्रस्तावना एवं इसमें निहित शब्दों के अर्थ

इस लेख में हम भारतीय संविधान की 'प्रस्तावना' (Preamble of Indian Constitution in Hindi) एवं इसमें निहित शब्दों के अर्थ के बारे में विस्तार से जानेंगे। 




Table of Content




प्रस्तावना क्या होती है? - Preamble of Indian Constitution in Hindi

प्रस्तावना (Preamble) से तात्पर्य संविधान की भूमिका से है जिसमें संविधान के उद्देश्यों, आदर्श शासन प्रणाली के स्वरूप एवं संविधान के लागू होने की तिथि का उल्लेख होता है। 


  • भारतीय संविधान में कहीं भी 'प्रस्तावना' शब्द का उल्लेख नहीं है, 'उद्देशिका' शब्द का है । 



संविधान में प्रस्तावना शब्द न होकर 'उद्देशिका' का शब्द क्यों है?

13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 'उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution)' रखा। 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और आगे चलकर यह उद्देश्य प्रस्ताव ही भारतीय संविधान की प्रस्तावना बना यद्यपि नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव को सम्मान देने के लिए 'उद्देशिका' शब्द का प्रयोग किया गया। 



प्रस्तावना की मूल बातें

भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमें निम्नलिखित बातों के बारे में बताती है - 

1. शासन का स्रोत क्या है?

  •  जनता 


2. शासन का स्वरूप क्या है?

  • संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न 
  • समाजवादी 
  • पंथनिरपेक्ष 
  • लोकतंत्रात्मक 
  • गणराज्य 


3. शासन का उद्देश्य क्या है?

  • सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय
  • विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना की स्वतंत्रता 
  • समानता 
  • व्यक्ति की गरिमा 
  • एकता और अखंडता 
  • बंधुता


चलिए अब इन सभी शब्दों के एक-एक करके विस्तार से अर्थ समझते है -


1. शासन का स्रोत 

भारतीय संविधान कि प्रस्तावना बताती है कि संविधान का स्रोत 'भारत के लोग' अर्थात्‌ 'भारत कि जनता' हैं क्योंकि संविधान की प्रस्तावना 'लोकप्रभुता (popular sovereignty)' को मानती है। 


  • लोकप्रभुता की संकल्पना 'रूसो' की देन है। 



2. शासन का स्वरूप क्या है?

संविधान की प्रस्तावना हमें बताती है की देश के शासन का स्वरूप क्या होगा? इसके अंतर्गत यह निम्नलिखित सवालों के जवाब देती है -

  • देश लोकतान्त्रिक होगा, तानाशाही या राजतंत्र? 
  • देश उपनिवेश होगा, dominion या प्रभुत्व संपन्न 
  • किस विचारधारा को अपनाया जायेगा समाजवादी या पूँजीवादी?
  • धार्मिक राष्ट्र होगा या पंथनिरपेक्ष राष्ट्र? 


A. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न क्या होता है? - What is Sovereign in Indian Constitution in Hindi

संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न से तात्पर्य एक ऐसे देश से है जो अपने आंतरिक और बाह्य मामलों में स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति रखता है। 

  • आंतरिक मामले अर्थात राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक मामले 
  • बाह्य मामले अर्थात विदेश नीतियाँ 


B. समाजवाद क्या होता है? - What is Socialism in Indian Constitution in Hindi

समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमें संपत्ति के समाजीकरण, समानता, मजदूर वर्गों के कल्याण और शोषण की समाप्ति आदि को महत्व दिया जाता है। 

भारतीय समाजवाद मार्क्सवाद या साम्यवाद नहीं है बल्कि यह लोकतांत्रिक समाजवाद से निकटता रखता है। भारतीय समाजवाद का स्वरूप अपने आप में विशिष्ट है। इसकी व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय ने D.S नकारा केस में की है। 


भारतीय समाजवाद के बारे में और अधिक जानने के लिए यह लेख पढ़े - समाजवाद (मार्क्सवाद) और भारतीय समाजवाद में क्या अंतर है?


C. पंथनिरपेक्षता क्या है? - What is Secularism in Indian Constitution in Hindi

पंथनिरपेक्ष का अर्थ है - धर्म/पंथ से तटस्थ होना। 

वहीं पंथनिरपेक्ष राज्य से तात्पर्य एक ऐसे देश से है जहाँ -

  • राज्य का कोई राजकीय धर्म न हो। 
  • राज्य अपने नागरिकों के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव न करता हो। 
  • सभी धर्मों के अनुयायियों को समान रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो। 


भारत एक पंथनिरपेक्ष राज्य है या धर्मनिरपेक्ष यह जानने के लिए इस लेख को पढ़े - पंथनिरपेक्षता और धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?


D. लोकतंत्र क्या होता है? - What is Democracy in Indian Constitution in Hindi

प्रस्तावना हमें बताती है की भारतीय राजव्यवस्था शासन के जिस प्रकार को स्वीकार करती है, वह लोकतंत्र है; न की राजतंत्र, तानाशाही या कुछ और। 


"जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए" यह लोकतंत्र की सर्वाधिक प्रचलित परिभाषा है, जिसे आपने कई बार पढ़ा और सुना होगा। लोकतंत्र की यह परिभाषा अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति 'अब्राहिम लिंकन' ने अपने 'गेट्सबर्ग' के भाषण में दी थी। वैसे यह परिभाषा मूल रूप से एक यूनानी दार्शनिक 'क्लीआन' के विचारों से ली गई थी। 


लोकतंत्र के प्रकार - Types of Democracy in Hindi

लोकतंत्र के 2 प्रकार होते है -

  1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र - Direct Democracy
  2. अप्रत्यक्ष लोकतंत्र - Indirect Democracy

1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र - Direct Democracy

जब शासन का संचालन स्वयं जनता करती है तो शासन की इस प्रणाली की, प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते है। 

Ex. प्राचीन यूनान में 


2. अप्रत्यक्ष लोकतंत्र - Indirect Democracy

जब जनता स्वयं शासन संचालन न करके अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन का संचालन करती है, तो इसे अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते है। 


अप्रत्यक्ष लोकतंत्र 2 प्रकार का होता है -

(i) संसदीय लोकतंत्र 
(ii) अध्यक्षात्मक लोकतंत्र 


⁕ भारत ने 'संसदीय लोकतंत्र' प्रणाली को अपनाया है। 

E. गणराज्य क्या होता है? - What is Republic in Hindi

गणराज्य से तात्पर्य एक ऐसे देश से है जहाँ राज्य का प्रमुख वंशानुगत न हो बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित हो। 

  • राज्य का प्रमुख - जिसके नाम से शासन चलाया जाता है। जैसे, भारत में राष्ट्रपति 
  • शासन का प्रमुख - जो वास्तव में शासन चलाता है। जैसे, भारत में प्रधानमंत्री 


3. शासन का उद्देश्य 

प्रस्तावना हमें यह भी बताती है की भारतीय संविधान के उद्देश्य क्या है? प्रस्तावना में भारतीय संविधान के निम्नलिखित उद्देश्य स्पष्ट रूप से उल्लेखित है -

(i) न्याय - Justice Meaning in Hindi

भारतीय संविधान का पहला उद्देश्य जनता को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध कराना है। प्रस्तावना में न्याय शब्द का अर्थ क़ानूनी न्याय से न होकर वितरण न्याय से है जो की न्याय का एक व्यापक रूप होता है। इसका अर्थ है की समाज में जो आर्थिक संसाधन, राजनीतिक शक्ति तथा सामाजिक प्रतिष्ठा उपलब्ध है, उनका वितरण जनता के बीच न्यायपूर्ण तरीके से होना चाहिए।  


(ii) स्वतंत्रता - Liberty Meaning in Hindi

भारतीय संविधान का दूसरा उद्देश्य जनता को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करना है। स्वतंत्रता का यह विचार मूल रूप से फ्रांस की क्रांति से लिया गया है और इस पर कुछ वैचारिक प्रभाव अमेरिकी संविधान का भी है। यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है की ये सभी स्वतंत्रता असीमित नहीं है बल्कि इन पर युक्तियुक्त निर्बंधन (Reasonable Restrictions) लगाए गए है। संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 तक इन सभी के बारे में प्रावधान किए गए है। 

  • विचार - सोचना, चिंतन, मनन 
  • अभिव्यक्ति - विचारों को प्रकट करना 
  • विश्वास - किसी भी विचारधारा को स्वीकार करना 
  • धर्म - किसी भी धर्म/पंथ को मानने की स्वतंत्रता 
  • उपासना - अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की स्वतंत्रता 


(iii) समानता - Equality Meaning in Hindi

भारतीय संविधान का तीसरा उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिष्ठा और अवसर की समानता उपलब्ध कराना है। 

  • प्रतिष्ठा की समानता का अर्थ है समाज में सभी व्यक्ति समान माने जायेंगे। धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी को श्रेष्ठ या हीन नहीं माना जायेगा। 


  • अवसर की समानता का अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति को विकसित होने के समान अवसर प्रदान करना। 


(iv) व्यक्ति की गरिमा - Dignity Meaning in Hindi

व्यक्ति की गरिमा का अर्थ है, प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय गरिमा से पूर्ण जीवन प्रदान करना। 


(v) एकता और अखंडता - Unity and Integrity Meaning in Hindi

  • एकता एक मनोवैज्ञानिक संकल्पना है जिसका अर्थ है, नागरिकों के बीच एक होने की भावना विकसित करना। 
  • अखंडता एक भौगोलिक संकल्पना है जिसका अर्थ है, भारत का भू-भाग इससे अलग ना हो। 


(vi) बंधुता - Fraternity Meaning in Hindi

बंधुता का अर्थ है देश के निवासियों के बीच भाईचारे की भावना। एकता और बंधुता में अंतर यह है की एकता, समुदाय के स्तर पर होती है तथा बंधुता व्यक्ति के स्तर पर होती है। 



प्रस्तावना का महत्व - Importance of Preamble of Indian Constitution in Hindi

1.  K.M. मुंशी के अनुसार प्रस्तावना भारत की राजनीतिक जन्मपत्री है जिस प्रकार जन्मपत्री किसी व्यक्ति के भावी जीवन के बारे में बताती हैं ठीक उसी प्रकार प्रस्तावना भी भविष्य के भारत की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। प्रस्तावना भारत में शासन के स्वरूप, शासन के उद्देश्य आदि का चित्रण करती है। 


2. बेरुबाड़ी केस (1960) में न्यायमूर्ति गजेंद्र गड़कर के अनुसार यद्यपि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है और इससे शासन करने की कोई विशिष्ट शक्ति प्राप्त नहीं होती है। लेकिन प्रस्तावना संविधान निर्माताओं के मस्तिष्क को समझने की कुंजी है। 

इसका अर्थ है कि प्रस्तावना संविधान के निर्वाचन/व्याख्या में मदद करती है। यदि संविधान में कहीं कोई अस्पष्टता पाई जाती है तो उसे प्रस्तावना की सहायता से दूर किया जाता है। 


3. प्रस्तावना में भारतीय संविधान का दर्शन पाया जाता है। 


4. प्रस्तावना में स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों की झलक मिलती है। 



प्रस्तावना की आलोचना - Criticism of Preamble of Indian Constitution

  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना अप्रवर्तनीय है जिसके कारण आलोचकों ने प्रस्तावना की तुलना "दंतविहीन व्याघ्र " से की है। 

  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अस्पष्टता पाई जाती है और इसमें वर्णित कुछ शब्दों जैसे समाजवाद। पंथनिरपेक्ष आदि का अर्थ स्पष्ट नहीं है। 


  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के संविधान की प्रस्तावना की झलक साफ-साफ दिखती है। जिसके कारण यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत के संविधान निर्माताओं की मौलिक देन नहीं है। 



क्या प्रस्तावना संशोधनीय है? - Is Preamble Amendable?

बेरूबाड़ी केस (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को असंशोधनीय बताया किंतु केशवानंद भारती केस (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना मत परिवर्तित कर लिया और यह निर्धारित किया कि - 

  • प्रस्तावना संविधान का अंग है। 
  • प्रस्तावना संशोधनीय है। 
  • यदि प्रस्तावना सहित पूरे संविधान में कोई मूल ढाँचा पाया जाता है तो उस मूल ढांचे में कोई संशोधन नहीं होगा। 


आगे चलकर मिनर्वा मिल्स केस, LIC केस, S.R बोम्बई केस में न्यायालय ने इसी मत को दोहराया। 



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