इस लेख में Surya Tap Kya Hai? तथा इसको प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानकारी दी गयी है।
Surya Tap Kya Hai? - Insolation Meaning In Hindi
सौर स्थिरांक/लैंजली क्या है?
पृथ्वी पर सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक
1. सूर्य की किरणों का तिरछापन
विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर चलने पर सूर्य की किरणें भू-पृष्ठ पर तिरछी होती जाती है। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने की क्रम में पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग सूर्यातप प्राप्त होता है। वही पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण एक ही स्थान पर पूरे दिन में सूर्यातप की मात्रा बदलती रहती है।
2. दिन की लंबाई
पृथ्वी के अपने अक्ष पर परिक्रमण के कारण जिस गोलार्ध में सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती है वहां दिन की अवधि बढ़ जाती है तथा जहां सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है वह दिन की अवधि छोटी हो जाती है।
- लंबा दिन = अधिक सूर्यातप
- छोटा दिन = कम सूर्यातप
3. सूर्य एवं पृथ्वी के बीच की दूरी
उपसौर/सूर्यनीच - Perihelion
3 जनवरी को सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध में लंबवत होती है तथा उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है अतः सूर्य और पृथ्वी के समीप होने के बावजूद उत्तरी गोलार्ध में सर्दी का मौसम होता है।
किंतु उपसौर की स्थिति में पृथ्वी को सामान्य से लगभग 7% अधिक सूर्यातप मिलता है इसलिए दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मियां 7% अधिक गर्म और उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियां 7% कम ठंडी होती है।
अपसौर/सूर्यउच्च - Aphelion
»» 4 जुलाई की दशा में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में लंबवत होती है, अतः सूर्य व पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी होने के बावजूद पड़ने वाली सीधी सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध के महाद्वीपीय भाग को पर्याप्त गर्म रखती है।
किंतु अपसौर में पर्याप्त सूर्य तत्व की मात्रा सामान्य से 7% कम होती है अतः उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी सामान्य से 7% कम होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी सामान्य से 7% अधिक होती है।
4. सौर कलंक
सूर्य की सतह (प्रकाश मंडल या Photosphere) पर प्रति 11 वर्षों के अंतराल में काले धब्बे दिखाई पड़ते हैं, इन्हें "सौर कलंक" कहा जाता है। सौर कलंकों के कारण पृथ्वी पर आने वाले सूर्यातप का मान बढ़ जाता है।
5. वायुमंडल की दशाएं
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