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सूर्यातप क्या है? तथा इसको प्रभावित करने वाले कारक | Surya Tap Kya Hai | Insolation Meaning In Hindi

इस लेख में Surya Tap Kya Hai? तथा इसको प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानकारी दी गयी है। 

Surya Tap Kya Hai | Insolation Meaning In Hindi

Surya Tap Kya Hai? -  Insolation Meaning In Hindi 

सूर्य से विकरित ऊर्जा का जो भाग पृथ्वी पर पहुँचता है, उसे सूर्यातप कहा जाता है अर्थात सौर ऊर्जा का वह भाग जो पृथ्वी प्राप्त करती है "सूर्यातप" (Insolation) कहलाता है। 

पृथ्वी अपनी कुल ऊर्जा का 99.9 % भाग सूर्यातप से ही प्राप्त करती है। 


सौर स्थिरांक/लैंजली क्या है?

पृथ्वी कुल सौर विकिरण का मात्र ½ अरबवाँ भाग ही प्राप्त करती है। पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर ऊर्जा (सबसे ऊपरी परत में) को ही "सौर स्थिरांक" कहा जाता है। 

पृथ्वी सूर्य से विकरित होने वाली ऊर्जा की मात्रा को 1.94 कैलोरी/cm²/मिनट की दर से प्राप्त करती हैं। 


पृथ्वी पर सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक 

1. सूर्य की किरणों का तिरछापन 

विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर चलने पर सूर्य की किरणें भू-पृष्ठ पर तिरछी होती जाती है। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने की क्रम में पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग सूर्यातप प्राप्त होता है। वही पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण एक ही स्थान पर पूरे दिन में सूर्यातप की मात्रा बदलती रहती है। 


(सूर्योदय के समय तिरछी किरणें, दोपहर के समय सीधी तथा सूर्यास्त के समय तिरछी होती है।)

2. दिन की लंबाई 

पृथ्वी के अपने अक्ष पर परिक्रमण के कारण जिस गोलार्ध में सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती है वहां दिन की अवधि बढ़ जाती है तथा जहां सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है वह दिन की अवधि छोटी हो जाती है। 

  • लंबा दिन = अधिक सूर्यातप 
  • छोटा दिन = कम सूर्यातप 

3. सूर्य एवं पृथ्वी के बीच की दूरी 

insolation meaning in geography in hindi


उपसौर/सूर्यनीच - Perihelion

3 जनवरी को सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध में लंबवत होती है तथा उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है अतः सूर्य और पृथ्वी के समीप होने के बावजूद उत्तरी गोलार्ध में सर्दी का मौसम होता है। 

किंतु उपसौर की स्थिति में पृथ्वी को सामान्य से लगभग 7% अधिक सूर्यातप मिलता है इसलिए दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मियां 7% अधिक गर्म और उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियां 7% कम ठंडी होती है। 


अपसौर/सूर्यउच्च - Aphelion

»» 4 जुलाई की दशा में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में लंबवत होती है, अतः सूर्य व पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी होने के बावजूद पड़ने वाली सीधी सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध के महाद्वीपीय भाग को पर्याप्त गर्म रखती है। 

किंतु अपसौर में पर्याप्त सूर्य तत्व की मात्रा सामान्य से 7% कम होती है अतः उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी सामान्य से 7% कम होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी सामान्य से 7% अधिक होती है। 

उपसौर → 3 जनवरी → पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी (14 करोड़ 70 लाख km) → पृथ्वी सूर्य के सबसे पास → 7% ज्यादा सूर्यातप
 

अपसौर → 4 जुलाई → पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी (15 करोड़ 20 लाख km) → पृथ्वी, सूर्य से दूर → 7% कम सूर्यातप
 


4. सौर कलंक 

सूर्य की सतह (प्रकाश मंडल या Photosphere) पर प्रति 11 वर्षों के अंतराल में काले धब्बे दिखाई पड़ते हैं, इन्हें "सौर कलंक" कहा जाता है। सौर कलंकों के कारण पृथ्वी पर आने वाले सूर्यातप का मान बढ़ जाता है। 


[प्रति 11 वर्षों के अंतराल में सूर्य का चुंबकीय द्रवण परिवर्तित होता है इस कारण सूर्य की सतह से कुछ गर्म गैसें निकल जाती है और वह क्षेत्र काला दिखाई पड़ता है।]


5. वायुमंडल की दशाएं 

यदि वायुमंडल साफ है तब पर्याप्त सूर्यातप प्राप्त होता है। यदि वायुमंडल मेघाच्छादित है या वायुमंडल में अधिक निलंबित कणिकीय पदार्थ आदि उपस्थित हैं तब प्राप्त सूर्यातप की मात्रा में कमी आती है। 


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