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तापमान प्रतिलोमन/व्युत्क्रमण क्या है? इसके प्रकार और प्रभाव | Temperature Inversion In Hindi

इस लेख में Tapman Pratilom/व्युत्क्रमण क्या है? (Temperature Inversion In Hindi) इसके प्रकार और प्रभाव आदि के बारे में जानकारी दी गयी है। 

Temperature Inversion In Hindi


तापमान प्रतिलोमन/व्युत्क्रमण क्या है? - Temperature Inversion In Hindi

सामान्यतः क्षोभमंडल में ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में कमी आती है। तापमान में कमी की यह दर प्रति 165 मीटर पर 1℃ होती है, इसे "सामान्य पतन दर" (Normal Lapse Rate) कहते है। किंतु जब क्षोभमंडल में ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में वृद्धि होने लगती है तब यह परिघटना "तापमान प्रतिलोमन/व्युत्क्रमण" कहलाती है। 


तापमान प्रतिलोमन के प्रकार - Types Of Temperature Inversion In Hindi

  1. अप्रवाही तापमान प्रतिलोमन 
  2. प्रवाही तापमान प्रतिलोमन 
  3. लंबवत या घाटी तापमान प्रतिलोमन 
  4. उच्च वायुमंडलीय तापमान प्रतिलोमन 
  5. यांत्रिक तापमान प्रतिलोमन 


1. अप्रवाही तापमान प्रतिलोमन - Non Advectional Inversion Of Temperature

जब अति मंद पवन अथवा पवनों की अनुपस्थिति में तापमान प्रतिलोमन की दशाएं निर्मित होती है तब इसे 'अप्रवाही तापमान प्रतिलोमन' कहा जाता है।

Non Advectional Temperature Inversion In Hindi
 

इसके लिए निम्नलिखित दशाएं आवश्यक होती है -

  • शीतकालीन लंबी रातें 
  • मेघरहित आकाश 
  • शांत वायुमंडल 
  • शुष्क वायु 
  • हिमावरित सतह 


उपरोक्त परिस्थितियों में धरातल रात्रि में पार्थिव विकिरण के रूप में अवशोषित सूर्यातप का शीघ्रता से उत्सर्जन कर देती है तथा ठंडी हो जाती है। इस धरातल से संबद्ध वायु की परतें चालन विधि द्वारा ठंडी होने लगती है। जो वायु परत धरातल के जितना समीप होती है वह उतनी ही अधिक ठंडी होती है तथा इसके ऊपर की परते क्रमशः गर्म बनी रहती है तथा तापमान प्रतिलोमन स्थापित हो जाता है। 


2. प्रवाही तापमान प्रतिलोमन - Advectional Inversion Of Temperature

जब वायु की क्षैतिज गति अर्थात पवनों की उपस्थिति में तापमान व्युत्क्रमण स्थापित होता है, तब इसे 'प्रवाही तापमान प्रतिलोमन' कहा जाता है। 


जब दो विपरीत स्वभाव की पवनें (ठंडी व गर्म) मिलती है तो ठंडी वायु भारी होने के कारण नीचे बैठती है तथा गर्म वायु हल्की होने के कारण ठंडी वायु के ऊपर आ जाती है। इस प्रकार स्थापित तापमान प्रतिलोमन "वाताग्री तापमान प्रतिलोमन" कहलाता है।  


3. लंबवत या घाटी प्रतिलोमन - Valley Inversion Of Temperature


पर्वतीय क्षेत्रों में जब पर्वतीय ढालों से ठंडी और भारी वायु घाटी की तली की ओर गति करते हुए तली पर पहुंचकर स्थापित हो जाती है तथा इसके ऊपर अपेक्षाकृत गर्म वायु होती है तब यह स्थिति 'घाटी प्रतिलोमन' कहलाती है। 


4. उच्च वायुमंडलीय प्रतिलोमन - Upper Inversion Of Temperature

यह स्थिति समतापमंडल में पाई जाती है जहां ओजोन की उपस्थिति के कारण पराबैंगनी विकिरण अवशोषित होती है तथा ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान में भी वृद्धि रिकॉर्ड की जाती है। 


5. यांत्रिक प्रतिलोमन - Mechanical Inversion Of Temperature

यह प्रतिलोमन वायु की अवरोहण की प्रक्रिया में स्थापित होता है। जब आरोहित (ऊपर जाती हुई वायु) होती हुई वायु फैलकर ठंडी हो जाती है और ऐसी ऊंचाई पर पहुंच जाती है जहां इसके ऊपर स्थित वायु की परत का तापमान इससे अधिक होता है, तब 'यांत्रिक तापमान प्रतिलोमन' स्थापित हो जाता है। 


जब वायु अवरोहित (नीचे उतरती वायु) होती है तब यह गर्म होने लगती है। जब यह एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाती है जहां इसके नीचे स्थित वायु का तापमान इससे कम होता है तब भी प्रतिलोमन स्थापित हो जाता है। 


यांत्रिक प्रतिलोमन के निम्नलिखित 3 प्रमुख क्षेत्र है -
  • उच्च अक्षांशीय क्षेत्र 
  • वाताग्री प्रदेश 
  • उच्च पर्वतीय क्षेत्र  

तापमान प्रतिलोमन का प्रभाव - Temperature Inversion Effects In Hindi

  • तापमान प्रतिलोमन के कारण वायुमंडलीय स्थिरता आ जाती है तथा वर्षा के प्रतिकूल दशाएं निर्मित होती है। 
  • तापमान प्रतिलोमन के कारण कोहरा, पाला, ओस आदि की दशाएं निर्मित होती है। 
  • पर्वतीय भागों के घाटी क्षेत्रों में ठंडी हवाओं से उत्पन्न तापमान प्रतिलोमन के कारण ही वहां आवास आदि ऊपरी ढालों पर बनाए जाते है। 
  • तापमान प्रतिलोमन के कारण वायु में स्थिरता आ जाती है तथा सतह से सटी वायुमंडल की परतों में वायु प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती हैं। 

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