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जलवायु परिवर्तन क्या है? कारण और प्रभाव | Climate Change In Hindi

आज के लेख में हम 'Jalvayu Parivartan' (Climate Change In Hindi) जो कि आज के समय की सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्या हैं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम जानेंगे की Jalvayu Parivartan क्या होता हैं? (What Is Climate Change In Hindi), पर्यावरण पर इसके क्या प्रभाव पड़ रहे हैं? 

Climate Change In Hindi
Climate Change In Hindi

Table Of Content:


जलवायु क्या हैं? - What Is Climate?

जलवायु किसी स्थान के लंबे समय (लगभग 35 वर्ष) की मौसमी घटनाओं का औसत होती हैं। 

जलवायु के बारे में और अधिक जानने के लिए आप ये लेख पढ़ सकते हैं:👉🏻 जलवायु क्या हैं?


जलवायु परिवर्तन क्या है? - Climate Change In Hindi

किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाला परिवर्तन ही, Jalvayu Parivartan कहलाता हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमित क्षेत्र या सम्पूर्ण पृथ्वी पर अनुभव किया जा सकता हैं। 


दूसरे शब्दों में कहें तो, पृथ्वी की जलवायु स्थैतिक नहीं है। मौसम तथा जलवायु में प्राकृतिक कारणों से स्थानीय, प्रादेशिक एवं वैश्विक स्तर पर परिवर्तन होते रहते हैं परंतु औद्योगिक क्रांति के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में विकास के कारण मानव द्वारा वायुमंडलीय प्रक्रमों में तीव्र गति से किया गया है, क्योंकि मनुष्य अब वायुमंडलीय संघटकों की मौलिक संरचना में परिवर्तन तथा परिमार्जन करने में समर्थ हो गया है। इसका असर मानव समुदाय, वनस्पति एवं जंतुओं पर पड़ने लगा है। खासकर मानव जाति के स्वयं का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। जलवायु में हुआ यह परिवर्तन ही जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहलाता है। 

Read More: पर्यावरण निम्नीकरण और पर्यावरण प्रदुषण क्या हैं?

आज हम जिस जलवायु परिवर्तन की बात करते है, उसका अर्थ 100 वर्ष पहले मानव गतिविधियों द्वारा हुए जलवायु परिवर्तन से हैं। जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक रुप से भी होता हैं किंतु इसकी प्रक्रिया बहुत धीमी होती हैं। आज के समय में मानवीय गतिविधियां अधिक बढ़ गई हैं जिस कारण प्राकृतिक रूप से होने वाले इस जलवायु परिवर्तन की गति में अत्यधिक तीव्र वृद्धि हो रही हैं, इसने वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन की स्थिति को एक गंभीर दशा में पहुंचा दिया हैं।  


जलवायु परिवर्तन के संकेतक - Indicators Of Climate Change 

ऐसा नहीं हैं की पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन की घटना पहली बार हो रही हैं। पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर अब तक जलवायु में अनेक बार परिवर्तन हुए हैं। पृथ्वी के विगत कालों में हुए जलवायु परिवर्तनों के साक्ष्यों को 'जलवायु परिवर्तन के संकेतक' कहते हैं। 

कुछ पुराजलवायु के संकेतक निम्नलिखित है -  

  • ऑक्सीजन आइसोटोप 
  • पौधों के जीवाश्म 
  • जंतुओं के जीवाश्म 
  • जंतुओं का वितरण एवं प्रसारण 
  • हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण 
  • कोयला अवसादी निक्षेप 
  • उच्च अक्षांशो में हिमानियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के अवशेषी चिन्ह 
  • हिमयुगों व अंतर-हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन प्रक्रिया का प्रकट होना 
  • ध्रुवों का भ्रमण एवं महाद्वीपीय प्रवाह 
  • पुराचुम्बकत्व एवं सागर नितल प्रसरण 

जलवायु परिवर्तन के कारण - Reasons of Climate Change In Hindi 

जलवायु परिवर्तन एक दीर्घकालिक प्रक्रिया हैं, जो प्राकृतिक और मानवीय कारकों से प्रभावित होती हैं। औद्योगिकरण से पहले इसमें मानवीय कारकों की भूमिका बहुत कम थी किन्तु औद्योगिकरण, नगरीकरण व संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से वैश्विक तापन, प्रदूषण जैसी कई गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं सामने आई हैं। जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -

  1. प्राकृतिक कारक
  2. मानवजनित कारक  


Reasons of Climate Change In Hindi
Reasons of Climate Change In Hindi 

1. प्राकृतिक कारक 

जलवायु परिवर्तन में प्राकृतिक कारकों की भी भुमिका होती हैं, किन्तु इनका प्रभाव दीर्घकालिक और अत्यंत धीमी गति से होता हैं। 


वायुमंडलीय गैसीय संयोजन में परिवर्तन 

वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, जलवाष्प आदि की मात्रा निरंतर परिवर्तित होती रहती है। इनके उत्सर्जन में मुख्यतः प्राकृतिक कारकों द्वारा ही होता हैं तथा प्रकृति के द्वारा निर्मित इन गैसों के असंतुलन का विभिन्न चक्रों द्वारा संतुलन होता रहता है। लेकिन मानव जनित कारण जब पृथ्वी के संतुलन में बदलाव लाते हैं, तो उसकी क्षतिपूर्ति प्रकृति नहीं कर पाती फलस्वरूप जलवायु परिवर्तन जैसी घटना घटित होती है। 


सौर विकिरण में भिन्नता

पृथ्वी की कक्षीय स्थिति में बदलाव या पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तन के कारण पृथ्वी को प्राप्त होने वाले सूर्यातप की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। जब सौर विकिरण की मात्रा में लंबे समय तक वृद्धि होती है तो ऐसे में पृथ्वी के वायुमंडल का तापमान बढ़ता है किंतु जब सौर विकिरण की मात्रा में कमी होती है तो ऐसे में वायुमंडलीय तापमान में गिरावट होती है और अंततः हिमकाल का आगमन होता है। 


सौर कलंक चक्र

सौर कलंक (सूर्य पर काले धब्बे) की संख्या बढ़ने पर सौर विकिरण की मात्रा में भी वृद्धि हो जाती है, ऐसे में पृथ्वी पर सामान्य से अधिक सूर्याताप प्राप्त होता है तथा सौर कलंकों की संख्या घटने पर सौर विकिरण की मात्रा में कमी आती है, जिससे वायुमंडलीय तापमान में गिरावट होती है। 


ज्वालामुखी उद्गार

जब ज्वालामुखी उद्गार के दौरान निकलने वाली राख व धूल वायुमंडल में फैल जाती हैं तो ऐसे में यह पृथ्वी पर पहुँचने वाले सौर विकरणों को अवरोधित कर देती है, जिसके फलस्वरूप निचले वायुमंडल का तापमान कम हो जाता है और शीतलन की अवस्था बनती है। 


2. मानवजनित कारक

वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्यतः 'मानवीय क्रियाकलाप' ही उत्तरदायी हैं। मानव द्वारा विकास की होड़ में प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा हैं जिससे प्राकृतिक संसाधन तो नष्ट हो रहे साथ ही पर्यावरण को भी अत्यधिक नुकसान हो रहा हैं। निम्नलिखित मानवजनित कारक जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रहे हैं -

  • नगरीकरण एवं तीव्र औद्योगिकरण
  • संसाधनों का दुरुपयोग
  • वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि
  • समताप मंडल में ओजोनपरत का ह्रास 
  • निर्वनीकरण 
  • तापमान में वृद्धि
  • जीवाश्म ईंधन को जलाना 


जलवायु परिवर्तन के प्रभाव - Effects of Climate Change

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव चारों ओर देखे जा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहा हैं, अब गर्मियां और अधिक गर्म व लंबी हो रही हैं, वहीं सर्दियों का समय छोटा होता जा रहा हैं। वर्षा का आगमन देरी से हो रहा हैं व वर्षा की मात्रा में कमी आ रही हैं। Global Warming के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि हो रही हैं, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे है और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा हैं। 

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव निम्नलिखित हैं -

  • कठोर मौसमी घटनाएँ
  • ग्लेशियरों का पिघलना
  • समुद्री जलस्तर में वृद्धि
  • पारितंत्र तथा जैव-विविधता पर प्रभाव
  • कृषि की गुणवत्ता पर प्रभाव
  • भोजन की सुरक्षा एवं गुणवत्ता पर प्रभाव
  • स्वास्थ पर प्रभाव 
  • वायुमंडलीय तथा सामुद्रिक तापमान में वृद्धि
  • जल असुरक्षा
  • भूमि संसाधनों पर प्रभाव
  • सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं जनांकिकीय समस्याऐ उत्पन्न होना


1. जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव 

IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) के अनुसार, वैश्विक कृषि पर जलवायु परिवर्तन का कुल प्रभाव नकारात्मक होगा। भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण औसत फसल उत्पादन में कमी होने का खतरा है और फसल विभिन्नता में वृद्धि होने की संभावना है। उच्च तापमान एवं सूखे के कारण पशुओं की उत्पादकता जैसे दूध उत्पादन में भी कमी आ सकती है। 

जलवायु परिवर्तन से कृषि पर पड़ने वाले कुछ अन्य प्रभाव निम्नलिखित हैं -

  • फसलों में लगने वाले रोगों में वृद्धि 
  • फसलों में लगने वाले कीटों में वृद्धि 
  • कृषि फसल तंत्र में परिवर्तन 
  • खरपतवार में वृद्धि 


IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट के पहले भाग "क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस" शीर्षक के अनुसार अतिरिक्त 0.5° सेल्सियस तापमान में वृद्धि होने से गर्म चरम सीमा, अत्यधिक वर्षा और सूखे में वृद्धि होगी। अतिरिक्त ताप वृद्धि पौधों, मिट्टी और समुंद्र में मौजूद पृथ्वी के कार्बन सिंक को कमजोर करेगी, जिससे फसल उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 



2. पारितंत्र तथा जैव-विविधता पर प्रभाव 

जलवायु परिवर्तन में अत्यधिक जैव विविधता ह्रास की क्षमता होती है, जिससे विशिष्ट जाति एवं उनके पारितंत्र दोनों प्रभावित होते हैं। WWF (World Wildlife Fund) के अनुसार विषुवत रेखा से ध्रुवीय क्षेत्रों तक की प्रजाति खतरे में है। तापमान वृद्धि से पक्षियों एवं तितलियों पर भी प्रभाव पड़ेगा जो कि उनकी परास (Range) में कमी लाएगा।


जलवायु परिवर्तन से न केवल स्थलीय जैव-विविधता बल्कि जलीय जैव-विविधता पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। इससे समुद्री तापमान में वृद्धि तथा समुद्री अम्लीकरण जैसी समस्याएं उत्पन्न होगी, जिससे समुंद्री पारितंत्र प्रभावित होगा। प्रवाल भित्तियाँ को भी जलवायु परिवर्तन से खतरा हैं। 

जलवायु परिवर्तन जैव विविधता को जीन, प्रजाति एवं पारितंत्र स्तर पर प्रभावित करता है। यह पोषण चक्र, जल चक्र, मृदा निर्माण, जलवायु का विनियमन, पारितंत्र द्वारा कीट एवं प्रदूषण नियंत्रण इत्यादि सेवाओं को भी बाधित कर देता हैं। 

IUCN (International Union for Conservation of Nature) के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण वन एवं आर्द्रभूमियों में कमी आएगी तथा जीवो के आवास संकुचित हो जायेंगे। 


3. समुद्री जलस्तर में वृद्धि 

तापमान में वृद्धि होने से जल फैलता है। जलवायु परिवर्तन द्वारा समुद्र के तापमान में वृद्धि होने से पहले समुद्र की सतह में फैलाव होता है एवं लंबी समयावधि में गहराई में जल का फैलाव होता है। इस प्रकार समुद्री जल स्तर में वृद्धि होती है। वहीं पर्वतों की हिमचोटीयों, ग्लेशियरों एवं अंटार्कटिक तथा ग्रीनलैंड की हिम चादरों के पिघलने से भी समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है। 


4. स्वास्थ पर प्रभाव 

जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ पर भी अत्यधिक गंभीर प्रभाव पड़ता हैं। WHO (World Health Organization) के अनुसार हर वर्ष हजारों लोग गंदे पानी, स्वच्छता अभाव एवं कुपोषण तथा वायु प्रदुषण के कारण मरते हैं। साथ ही लगभग 60000 लोग प्रति वर्ष आपदाओं के कारण मरते हैं। 


  • सुरक्षित जल की उपलब्धता न होने के कारण लोग प्रदूषित जल पीने को मजबूर हो जाते हैं जिससे कई जलजनित रोगों का खतरा बढ़ जाता हैं। जलजनित रोगों के कारण हर 5 वर्ष से कम उम्र के 760000 बच्चों की मौत हो जाती हैं।  

  • मलेरिया, जलवायु परिवर्तन से बहुत अधिक प्रभावित हैं। यह बीमारी एनाफिलीज मादा मच्छर द्वारा फैलती हैं। डेंगू फ़ैलाने वाला एडीज मच्छर भी जलवायु हालातों के प्रति उच्च रूप से संवेदनशील होता हैं। 


भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन की दिशा में उठाए जा रहे कदम

भारत ने सन 2008 में जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना जारी की इसमें उन उपायों की पहचान की गई है, जो विकास संबंधी उद्देश्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सह-लाभ भी उपलब्ध कराते हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में बहुमुखी, दीर्घकालीन और एकीकृत रणनीतियां तय की गई है ताकि उनके आधार पर मुख्य लक्ष्यों की पूर्ति की जा सके। इसके अंतर्गत 8 राष्ट्रीय मिशन निम्नलिखित है -

  1. राष्ट्रीय सौर मिशन
  2. राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन
  3. राष्ट्रीय सतत पर्यावास मिशन
  4. राष्ट्रीय जल मिशन
  5. हिमालय पारितंत्र को टिकाऊ बनाने हेतु राष्ट्रीय मिशन
  6. राष्ट्रीय हरित भारत मिशन
  7. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन
  8. राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीति ज्ञान मिशन


इस लेख में हमने Jalvayu Parivartan (Climate Change In Hindi) के लगभग सभी पक्षों के बारे में विस्तार से जानकारी दी हैं। मैं आशा करता हूँ आपको ये लेख पसंद आया होगा और आपको इससे कुछ नया सीखने को मिला होगा, कृपया इसे Social Media पर अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें।  


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