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Maulik Adhikar Kya Hai? (अनुच्छेद 12-35) - मौलिक अधिकारों की सूची

भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के लेख में हम 'Maulik Adhikar' के बारे में जानेंगे। इस लेख में विस्तारपूर्वक मौलिक अधिकारों से सम्बंधित प्रश्नों यथा Maulik Adhikar Kya Hai?, Maulik Adhikar Kitne Hain?, मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ, महत्व और आलोचनाएँ आदि के जबाव आपको मिलेंगे। आपकी तैयार को बेहतर करने के लिए लेख के अंत में अभ्यास प्रश्न (MCQs) भी शामिल किए गए है। 


Maulik Adhikar Kya Hai


Table of Content


मूल अधिकार/Maulik Adhikar Kya Hai? - What is Fundamental Rights in Hindi?

मौलिक अधिकार वे अधिकार है जो व्यक्ति के भौतिक व नैतिक विकास के लिए आवश्यक है तथा जिन्हें संविधान द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त है। मौलिक अधिकार देश में व्यवस्था बनाये रखने एवं राज्य के कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों को आजादी की सुरक्षा करते है। 



मौलिक अधिकारों को 'मौलिक/मूल' क्यों कहा जाता है?

मौलिक अधिकारों को मौलिक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें संविधान द्वारा गारंटी एवं सुरक्षा प्रदान की गई है, जो राष्ट्र कानून का मूल सिद्धांत है। ये मूल इसलिए भी है क्योंकि ये व्यक्ति के चहुँमुखी विकास (भौतिक, नैतिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक) के लिए आवश्यक है। 



भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की सूची 

भारत के संविधान में भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लेख किया गया है। इसमें अनुच्छेद 14 से 32 तक छः विशिष्ट मौलिक अधिकारों का उल्लेख है जबकि अनुच्छेद 12, 13 व 33, 34, 35 में मौलिक अधिकारों से सम्बंधित उपबंधों का उल्लेख है। 


भारत के मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे। किंतु 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा 'संपत्ति के अधिकार' को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया और भाग 12 के अनुच्छेद 300 A में रखा गया। मूल संविधान में संपत्ति के अधिकार का उल्लेख 2 जगहों पर था - अनुच्छेद 19 (1) (f) तथा अनुच्छेद 31 


वर्तमान में भारतीय संविधान में प्रदत्त 6 मौलिक अधिकार निम्नलिखित है - 


मौलिक अधिकार अनुच्छेद
1. समता/समानता का अधिकार अनुच्छेद (14-18)
2. स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (19-22)
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद (23-24)
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (25-28)
5. सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार अनुच्छेद (29-30)
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद 32
  

छः Maulik Adhikar/मूल अधिकार - Fundamental Rights in Hindi

1. समानता का अधिकार: अनुच्छेद (14-18)

  • अनुच्छेद - 14 - 'विधि के समक्ष समानता' (Equality Before Law) एवं 'विधियों का समान संरक्षण' (Equal Protection of Laws)। 
  • अनुच्छेद - 15 - धर्म, जाति, मूलवंश, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध (prohibition)। 
  • अनुच्छेद - 16 - लोक-नियोजन (Public Employment) के विषय में अवसर की समानता। 
  • अनुच्छेद - 17 - अस्पृश्यता (Untouchability) का उन्मूलन। 
  • अनुच्छेद - 18 - उपाधियों का अंत। 

2. स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद (19-22)

  • अनुच्छेद - 19 - इस अनुच्छेद में 6 प्रकार की स्वतंत्रताओं के अधिकार का उल्लेख है। 
  • अनुच्छेद - 20 - अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण। 
  • अनुच्छेद - 21 - प्राण (life) एवं दैहिक स्वतंत्रता (personal liberty) का अधिकार। 
  • अनुच्छेद - 21A - 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार।  
  • अनुच्छेद - 22 - कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध (detention) से संरक्षण। 

संबंधित लेख:

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार: अनुच्छेद (23-24)

  • अनुच्छेद - 23 - मनुष्य के दुर्व्यापार, बलात श्रम तथा बेगार का प्रतिषेध। 
  • अनुच्छेद - 24 - कारखानों, खानों तथा खतरनाक रोजगारों में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध। 

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद (25-28)

  • अनुच्छेद - 25 - अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद - 26 - धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद - 27 - किसी धर्म की अभिवृद्धि के लिए कर नहीं देने की स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद - 28 - कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने से स्वतंत्रता। 

सम्बंधित लेख:

    5. सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार: अनुच्छेद (29-30)

    • अनुच्छेद - 29 - भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार। 
    • अनुच्छेद - 30 - शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार। 

    6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार 

    • अनुच्छेद - 32 - संवैधानिक उपचारों का अधिकार 

    सम्बंधित लेख:

      भाग 3 के अन्य अनुच्छेद 12, 13 व 33, 34, 35 के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए आप ये लेख पढ़ सकते है -


      मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ - Feature of Fundamental Rights in Hindi

      1. मौलिक अधिकार प्राकृतिक अधिकारों की भाँति असीमित या निरपेक्ष नहीं है। 

      2. अधिकांश मौलिक अधिकारों का स्वरूप नकारात्मक है यद्यपि कुछ मौलिक अधिकार सकारात्मक भी है। 

      3. मौलिक अधिकार प्रवर्तनीय है अर्थात ये न्याय योग्य, वाद योग्य है। 

      4. कुछ मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है जबकि कुछ मौलिक अधिकार नागरिक के साथ-सतह विदेशी को भी प्राप्त है। यथा - 
      • अनुच्छेद 15, 16, 19 (केवल नागरिक को प्राप्त)
      • अनुच्छेद 21 व 25 (नागरिक + विदेशी दोनों को)

      5. कुछ मौलिक अधिकार व्यक्ति को केवल राज्य के विरूद्ध प्राप्त है जबकि कुछ राज्य और निजी व्यक्ति दोनों के विरुद्ध भी प्राप्त है। यथा -
      • राज्य के विरुद्ध - अनुच्छेद 15 व 16 
      • राज्य व निजी व्यक्ति दोनों के विरुद्ध - अनुच्छेद 17 

      6. मौलिक अधिकार स्थायी नहीं है। संसद इनमें कटौती कर सकती है लेकिन संशोधन अधिनियम के तहत न की साधारण विधेयक द्वारा। 


      मौलिक अधिकारों की आलोचनाएँ - Criticism of Fundamental Rights in Hindi

      1. आलोचकों के अनुसार भारत का संविधान मौलिक अधिकारों पर अनेक सीमाएँ लगता है। जिसके कारण ऐसा प्रतीत होता है की भारत का संविधान "एक हाथ से अधिकार देता है और दूसरे हाथ से छीन लेता है"। 

      2. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों से सम्बंधित भाग अत्यधिक लंबा और जटिल है, जिसके कारण मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिलता है। इसे लेकर संवैधानिक कानूनों के विशेषज्ञ आइवर जेनिंग्स का कथन है की "भारत का संविधान वकीलों का स्वर्ग बन जाता है"। 

      3. मौलिक अधिकारों की यह कहकर भी आलोचना की जाती है की यह संविधान निर्माताओं की देन नहीं है बल्कि अमेरिका से लिए गए है तथा मौलिक अधिकारों में मौलिकता नहीं है। 

      4. मौलिक अधिकारों का स्वरूप ऐसा है की वे आपस में टकरा जाते है तथा विरोधाभास उत्पन्न करते है। 


      मौलिक अधिकारों का महत्व - Importance of Fundamental Rights

      • मौलिक अधिकार तानाशाही से हमारी रक्षा करते है। 
      • लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए मौलिक अधिकार आवश्यक है। 
      • मौलिक अधिकार अल्पसंख्यक वर्ग के मन में विश्वास का भाव उत्पन्न करते है। इससे राष्ट्रीय एकता ही बढ़ावा मिलता है। 
      • मौलिक अधिकारों में संविधान का दर्शन पाया जाता है। 
      • मौलिक अधिकारों में स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों की झलक है। 


      Frequently Asked Questions - FAQs 

      1. भारतीय संविधान में Maulik Adhikar Kitne Hain?
      Ans. भारतीय संविधान में नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए है। 

      2. भारत के 6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?
      Ans. समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचार का अधिकार। 

      3. आर्टिकल 12 से 35 तक क्या है?
      Ans. भारतीय संविधान में अनुच्छेद 12 से 35 तक 'मौलिक अधिकारों' का उल्लेख है। 

      4. मौलिक अधिकार कहाँ से लिया गया है?
      Ans. संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से 

      5. मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन होता है?
      Ans. सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय

      6. मौलिक अधिकार की आवश्यकता क्यों है?
      Ans. मौलिक अधिकार व्यक्ति के भौतिक, नैतिक बौद्धिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। 

      7. संविधान के भाग 3 में क्या है?
      Ans. संविधान के भाग 3 में 'मौलिक अधिकारों' का उल्लेख है। 

      8. संविधान के किस अनुच्छेद को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 'संविधान की आत्मा' कहा है?
      Ans. अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को 


      अभ्यास प्रश्न - MCQs 














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