भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के लेख में हम 'Maulik Adhikar' के बारे में जानेंगे। इस लेख में विस्तारपूर्वक मौलिक अधिकारों से सम्बंधित प्रश्नों यथा Maulik Adhikar Kya Hai?, Maulik Adhikar Kitne Hain?, मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ, महत्व और आलोचनाएँ आदि के जबाव आपको मिलेंगे। आपकी तैयार को बेहतर करने के लिए लेख के अंत में अभ्यास प्रश्न (MCQs) भी शामिल किए गए है।
Table of Content
मूल अधिकार/Maulik Adhikar Kya Hai? - What is Fundamental Rights in Hindi?
मौलिक अधिकार वे अधिकार है जो व्यक्ति के भौतिक व नैतिक विकास के लिए आवश्यक है तथा जिन्हें संविधान द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त है। मौलिक अधिकार देश में व्यवस्था बनाये रखने एवं राज्य के कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करते है।
मौलिक अधिकारों को 'मौलिक/मूल' क्यों कहा जाता है?
मौलिक अधिकारों को मौलिक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें संविधान द्वारा गारंटी एवं सुरक्षा प्रदान की गई है, जो राष्ट्र कानून का मूल सिद्धांत है। ये मूल इसलिए भी है क्योंकि ये व्यक्ति के चहुँमुखी विकास (भौतिक, नैतिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक) के लिए आवश्यक है।
भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की सूची
भारत के संविधान में भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लेख किया गया है। इसमें अनुच्छेद 14 से 32 तक छः विशिष्ट मौलिक अधिकारों का उल्लेख है जबकि अनुच्छेद 12, 13 व 33, 34, 35 में मौलिक अधिकारों से सम्बंधित उपबंधों का उल्लेख है।
भारत के मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे। किंतु 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा 'संपत्ति के अधिकार' को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर भाग 12 के अनुच्छेद 300A में रख दिया गया (मूल संविधान में संपत्ति के अधिकार का उल्लेख 2 जगहों पर था - अनुच्छेद 19 (1) (f) तथा अनुच्छेद 31 )
वर्तमान में भारतीय संविधान में प्रदत्त 6 मौलिक अधिकार निम्नलिखित है -
मौलिक अधिकार | अनुच्छेद |
---|---|
1. समता/समानता का अधिकार | अनुच्छेद (14-18) |
2. स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद (19-22) |
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार | अनुच्छेद (23-24) |
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद (25-28) |
5. सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार | अनुच्छेद (29-30) |
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार | अनुच्छेद 32 |
छः Maulik Adhikar/मूल अधिकार - Fundamental Rights in Hindi
1. समानता का अधिकार: अनुच्छेद (14-18)
- अनुच्छेद - 14 - 'विधि के समक्ष समानता' (Equality Before Law) एवं 'विधियों का समान संरक्षण' (Equal Protection of Laws)।
- अनुच्छेद - 15 - धर्म, जाति, मूलवंश, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध (prohibition)।
- अनुच्छेद - 16 - लोक-नियोजन (Public Employment) के विषय में अवसर की समानता।
- अनुच्छेद - 17 - अस्पृश्यता (Untouchability) का उन्मूलन।
- अनुच्छेद - 18 - उपाधियों का अंत।
2. स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद (19-22)
- अनुच्छेद - 19 - इस अनुच्छेद में 6 प्रकार की स्वतंत्रताओं के अधिकार का उल्लेख है।
- अनुच्छेद - 20 - अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण।
- अनुच्छेद - 21 - प्राण (life) एवं दैहिक स्वतंत्रता (personal liberty) का अधिकार।
- अनुच्छेद - 21A - 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार।
- अनुच्छेद - 22 - कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध (detention) से संरक्षण।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार: अनुच्छेद (23-24)
- अनुच्छेद - 23 - मनुष्य के दुर्व्यापार, बलात श्रम तथा बेगार का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद - 24 - कारखानों, खानों तथा खतरनाक रोजगारों में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद (25-28)
- अनुच्छेद - 25 - अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद - 26 - धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद - 27 - किसी धर्म की अभिवृद्धि के लिए कर नहीं देने की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद - 28 - कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने से स्वतंत्रता।
5. सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार: अनुच्छेद (29-30)
- अनुच्छेद - 29 - भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार।
- अनुच्छेद - 30 - शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
- अनुच्छेद - 32 - संवैधानिक उपचारों का अधिकार
मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ - Feature of Fundamental Rights in Hindi
- अनुच्छेद 15, 16, 19 (केवल नागरिक को प्राप्त)
- अनुच्छेद 21 व 25 (नागरिक + विदेशी दोनों को)
- राज्य के विरुद्ध - अनुच्छेद 15 व 16
- राज्य व निजी व्यक्ति दोनों के विरुद्ध - अनुच्छेद 17
मौलिक अधिकारों की आलोचनाएँ - Criticism of Fundamental Rights in Hindi
मौलिक अधिकारों का महत्व - Importance of Fundamental Rights
- मौलिक अधिकार तानाशाही से हमारी रक्षा करते है।
- लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए मौलिक अधिकार आवश्यक है।
- मौलिक अधिकार अल्पसंख्यक वर्ग के मन में विश्वास का भाव उत्पन्न करते है। इससे राष्ट्रीय एकता ही बढ़ावा मिलता है।
- मौलिक अधिकारों में संविधान का दर्शन पाया जाता है।
- मौलिक अधिकारों में स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों की झलक है।